भोपाल

Ramzan Special : संगमरमर से बनी है ये नायाब हीरा मस्जिद, कहलाती है शहर की पहली मस्जिद

कोरोना महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना बेहद जरूरी है। जिसके चलते सभी धार्मिक स्थलों को बंद रखा गया है। इन्हीं में से एक ही भोपाल की पहली और नायाब हीरा मस्जिद।

भोपालMay 05, 2020 / 06:13 pm

Faiz

Ramzan Special : संगमरमर से बनी है ये नायाब हीरा मस्जिद, कहलाती है शहर की पहली मस्जिद

भोपाल/ रमजान से मस्जिदों का गहरा रिश्ता है। आम दिनों के मुकाबले रमजान के दिनों में मस्जिदों की इबादत बढ़ जाती है। अकीदतमंद नमाज और तरावीह के लिए मस्जिदों में ही जाते हैं। हालांकि, इस बार कोरोना वायरस के चलते रमज़ान के दिनों में भी मस्जिदें सूनी हैं। जिन दिनों में मस्जिदों के अंदर पैर रखने की जगह नहीं होती थी, वहां आज सन्नाटा पसरा है। हालांकि, कोरोना महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना बेहद जरूरी है। जिसके चलते सभी धार्मिक स्थलों को बंद रखा गया है।

 

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हीरे की तरह चमकती है मस्जिद

भोपाल शहर में ऐसी ही एक मस्जिद है, जिसके अंदर खासतौर पर रमज़ान के दिनों में जगह मिल पाना काफी मुश्किल होता था, लेकिन आज वो मस्जिद भी सुनसान है। मस्जिद की तामीर भोपाल नवाब सुल्तान जहां बैगम ने करवाई थी। जिसके बाद इसे नाम मिला हीरा मस्जिद। इस मस्जिद को हीरा नाम इसलिए दिया गया क्योंकि, ये मस्जिद दिन की धूप में या चांदनी रात में किसी हीरे की तरह चमकती है। पुराने शहर में बनी इस खूबसूत मस्जिद को शाहजहां बेगम द्वारा बनवाई पहली मस्जिद के रूप में भी जाना जाता है।

 

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महल बनवाने से पहले बेहम ने बनवाई थी मस्जिद

बता दें कि, जब शाहजहां बेगम बेगम फतेहगढ़ स्थित इकबाल मैदान के पास अपने लिए शौकत महल बनवा रही थीं, इससे पहले उन्होंने महल के दरवाजे पर एक चमकीले सफेद संगमरमर के पत्थर से इस बेहद खूबसूरत मस्जिद की तामीर करवाई थी। शहर की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक हीरा मस्जिद की सबसे खास बात ये है कि, इसे भोपाल शहर के बाहर संगमरमर के तराशे हुए टुकड़ों से बनवाया गया था। सभी टुकड़े पूरी तरह कम्प्लीट होने पर इन्हें अलग अलग हिस्सों में यहां लाकर एक दूसरे से जोड़ दिया गया। एक और खास बात ये है कि, इस पूरी मस्जिद में संगमरमर के अलावा कोई और पत्थर नहीं लगाया गया है।

 

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देखते ही बनती है दीवारों की नक्काशी

इन पत्थरों पर हुए बारीक और खूबसूरत नक्काशी दारी कलाकृतियां देखते ही बनती हैं। मानों जैसे संगतराश ने मोम के सांचे को पिघला कर इन पत्थरों को ढाल दिया हो। इस मस्जिद की जिम्मेदारी मसाजिद कमेटी के पास है, जिसका कहना है कि, इस मस्जिद की एक्युरेट नपती की जाना मुश्किल है। क्योंकि, इसके किनारे नक्काशी के कारण काफी कटे हुए हैं। हालांकि, इसका रकबा वर्ग मीटर है।

 

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जिम्मेदार इसपर गौर करें

चिंता की बात ये है कि, इन दिनों इससे लगा शौकत महल पूरी तरह जर्जर हो चुका है, जिससे मस्जिद की इमारत को नुकसान हो रहा है। पिछले दिनों भी महल का कुछ हिस्सा मस्जिद के मीनारों पर गिर गया था। फिलहाल, मस्जिद की ओर से मीनारे के ऊपर टीन शेड लगा दिये गए हैं। लेकिन अगर जल्द ही इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो, हम भोपाल की एक और विरासत को खो देंगे।


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