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Ramzan Special : इस शहर में है एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद, जिसे कहते हैं ‘मस्जिदों का ताज’

ताज उल मसाजिद के बारे में ये खास बातें बहुत कम ही लोग जानते हैं।

भोपालMay 23, 2020 / 08:50 am

Faiz

Ramzan Special : इस शहर में है एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद, जिसे कहते हैं ‘मस्जिदों का ताज’

भोपाल/ रमजान का महीना अब पूरा होने को है। हर साल खासतौर पर रमजान के दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में इबादत करते हैं। हालांकि, इस बार कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देशभर की सभी मस्जिदों समेत धर्मस्थलों को बंद कर दिया गया है। ताकि, भीड़भाड़ न लगे और लोगों में सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। वैसे तो रमजान के दिनों में शहर की सभी मस्जिदों में भीड़ देखी जा सकती है। लेकिन, शहर की ‘मस्जिदों का ताज’ कही जाने वाली ताज उल मसाजिद में इबादत गुज़ारों की ज्यादा भीड़ उमड़ती है, जो इस बार देखने को नहीं मिल रही। तो आइये जानते हैं ताज उल मसाजिद के बारे में कुछ खास बातें।

 

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एशिया की सबसे बड़ी मसजिद का मिला खिताब

वैसे तो दिल्ली की ‘जामा मस्जिद’ को भारत की सबसे बड़ी मस्जिद बताया जाता है, लेकिन शोध के अनुसार भोपाल की ‘बेगम सुल्तान शाहजहां’ द्वारा बनाई हुई ‘ताजुल मसाजिद’ को भारत की सबसे बड़ी मस्जिद में शुमार है। इसे सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद माना गया है।

 

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शाहजहां बेगम ने शुरू कराया था काम

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बहादुर शाह ज़फर की हुकुमत में भोपाल रियासत की नवाब शाहजहां बेगम ने इस खूबसूरत मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू करवाया था। हालांकि, मस्जिद की तामीर (निर्माण) बीच ही शाहजहां बेगम की मृत्यु के बाद उनकी बेटी ने इस मस्जिद को बनाने की जिम्मेदारी ली। शहर की अगली नवाब सुल्तान जहां बेगम ने इसका निर्माण कार्य जारी रखा। पैसों की कमी के कारण बाद में इसका निर्माणकार्य कुछ समय के लिए रुकवाना पड़ा। आखिरकार वो भी इस मस्जिद को मुकम्मल नहीं करवा सकीं थीं। हालांकि, निर्माण में इस्तेमाल किये जाने वाला पत्थर उन्होंने कारीगरों से पहले ही तरश वा लिया था, ताकि भविष्य में जो कोई भी इस मस्जिद की तामीर पूरी करवाए, उसे इसमें कोई अन्य पत्थर नहीं लगवाना पड़े, ताकि उससे मस्जिद की खूबसूर्ती पर कोई फर्क पड़े। आखिरकार, सुल्तान जहां बेगम की मृत्यु के बाद इस मस्जिद को शहर की बुजुर्ग हस्ती मोलाना इमरान खां साहब ने पूरा करवाया।

 

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मस्जिद का आकर्षण

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मस्जिद में दो 18 मंज़िला ऊंची मिनारे हैं, जो संगमरमर के गुंबदों से सजी हैं। इसके अलावा मस्जिद में तीन बड़े गुंबद अलग हैं, जिन्होंने मस्जिद की खूबसूरती में चार चांद लगा दिये। मस्जिद में एक बड़ा सा दालान, संगमरमर का फर्श और कई खास कारीगरी से तराशे हुए स्तम्भ हैं। मस्जिद शहर की इतनी ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। साथ ही उसके मीनारों की ऊंचाई इतनी है कि, उसे शहर के किसी भी इलाके में ऊंचाई से खड़े होकर आसानी से देखा जा सकता है। कहा जाता है कि, मस्जिद से लगा मोतिया तालाब मस्जिद का ही होज़ (कुंड) हुआ करता था, जिसमें लोग वजू करके नमाज अदा करने जाते थे। ये अ भी मस्जिद के ही इलाके में हैं। अगर इस तालाब के साथ मस्जिद का क्षेत्रफल नापा जाए, तो ये कुल 14 लाख 52 हजार स्क्वेयर फीट होता है।

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