भोपाल

International Tiger Day 2023: देश के Tigers को भा रहा MP, दूसरे राज्यों से यहां पहुंच जाते हैं बाघ

International Tigers Day 2023: आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि एमपी टाइगर्स को इतना भा रहा है कि वे यहां से कहीं नहीं जाते, लेकिन दूसरे राज्यों के टाइगर्स यहां जरूर पहुंच जाते हैं। है न बड़ी ही इंट्रेस्टिंग बात…कुछ ऐसी ही रोचक जानकारियों के लिए जरूर पढ़ें ये खबर…

भोपालJul 29, 2023 / 01:32 pm

Sanjana Kumar

International Tigers Day 2023: MP अजब है, गजब है…ये गीत तो आपने सुना ही होगा। चाहे जिस फील्ड की बात हो एमपी गजब ही नजर आता है। यहां की वाइल्ड लाइफ भी गजब के इस ट्रेंड में पीछे नहीं है और खासतौर पर जब बात हो टाइगर्स की तो एमपी हमेशा नंबर वन पर रहकर टाइगर स्टेट कहलाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में भले ही टाइगर की सुरक्षा के नाम पर सबसे सुरक्षित जंगल उत्तराखंड के माने जाते हों, लेकिन अगर बाघों की पसंद की बात करें तो उन्हें शायद एमपी सबसे बेस्ट लगता है। दरअसल इस बार भी मप्र टाइगर स्टेट बनकर उभरा है, क्योंकि यहां बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि एमपी टाइगर्स को इतना भा रहा है कि वे यहां से कहीं नहीं जाते, लेकिन दूसरे राज्यों के टाइगर्स यहां जरूर पहुंच जाते हैं। है न बड़ी ही इंट्रेस्टिंग बात…कुछ ऐसी ही रोचक जानकारियों के लिए जरूर पढ़ें ये खबर…

आज 29 जुलाई शनिवार को इंटरनेशनल टाइगर डे है। दुनिया भर में हर साल 29 जुलाई को बाघों के संरक्षण का यह दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बाघों की लगातार कम होती संख्या को कंट्रोल करना और उनकी आबादी बढ़ाना है। खासतौर पर भारत के लिए यह दिन बेहद खास होता है, क्योंकि बाघ न केवल हमारे देश का नेशनल एनिमल है, बल्कि दुनिया भर के बाघों की संख्या पर नजर डालें तो 70 फीसदी बाघ भारत में ही पाए जाते हैं। यहां कुल 53 टाइगर रिजर्व हैं, इनमें से एमपी में कुल 6 टाइगर रिजर्व हैं तो सातवां भी जल्दी ही एमपी की शान बढ़ाएगा।

टाइगर स्टेट मप्र है देश की शान

मप्र एक टाइगर स्टेट है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। इसका कारण यही है कि देश में सबसे ज्यादा टाइगर यहीं पाए जाते हैं। इसलिए ऐसा कहना ही पड़ेगा कि मप्र को टाइगर्स सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इसीलिए उनकी संख्या भी यहां सबसे ज्यादा है। वर्तमान में प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं। इनमें कान्हा किसली और बांधवगढ़ ऐसे टाइगर रिजर्व हैं, जो नेशनल लेवल पर अपनी खास पहचान रखते हैं।

यहां बना 7वां टाइगर रिजर्व

अब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने कुछ समय पहले ही केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की मंजूरी के बाद मध्य प्रदेश के नौरादेही और वीरांगना दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर मध्य प्रदेश में सातवें टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी प्रदान की थी। जल्द ही यह क्षेत्र सातवां टाइगर रिजर्व के रूप में पूर्ण तैयार कर लिया जाएगा। मध्य प्रदेश के दमोह सागर जिले के बीच लगभग 2339 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के लिए आरक्षित किया जा रहा है। इसका क्षेत्रफल भी बड़ा रखा गया है ताकि ज्यादा स ेज्यादा टाइगर्स को यहां संरक्षित किया जा सके।

मप्र को माना जाता है बाघ संरक्षण का केंद्र

भारत में लगभग 53 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें अकेले मध्य प्रदेश में ही अभी तक 6 टाइगर रिजर्व हैं। पूरे देश के 3167 बाघों में से 700 से अधिक बाघ केवल मध्य प्रदेश में ही हैं। यही कारण है कि कि एपी को देश के बाघ संरक्षण का केंद्र भी माना जाता है। एमपी में भोपाल रीजन हमेशा से बाघों की पहली पसंद रहा है। साथ ही रीवा और जबलपुर के वन क्षेत्र भी बाघों को हमेशा आकर्षित करते हैं। ये भी बड़ा कारण है कि एमपी में Tiger Project को बढ़ाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।

अब 7वां टाइगर रिजर्व बढ़ाएगा देश की शान

वन विभाग के मुताबिक 29 जुलाई को नौरादेही, रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर प्रस्तावित नए टाइगर रिजर्व का नाम क्या होगा फिलहाल यह तय नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड की स्वीकृति के बाद इसे प्रदेश के 7वें टाइगर रिजर्व के रूप में देश में नई पहचान मिलेगी। केंद्र की स्वीकृति के बाद अब अगले पखवाड़े तक प्रदेश शासन से अधिकृत घोषणा की जा सकती है। अभी पन्ना, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, संजय दुबरी सीधी में टाइगर रिजर्व हैं।

राजस्थान से एमपी आ जाते हैं बाघ

हाल ही में राजस्थान के रणथंभौर से घूमते हुए बाघ श्योपुर के कूनो पार्क में आ चुका है। इसकी पहचान टी-136 के रूप में की गई थी। यह बाघ करीब 92 किमी की दूरी तय कर यहां पहुंचा था। आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब राजस्थान के जंगलों से निकलकर बाघ एमपी पहुंच गए। पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है।

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