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28 जून को दिल्ली में सीएम थे कमल नाथ
नारायण त्रिपाठी कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। 2018 का विधानसभा चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर लड़ा था। इससे पहले नारायण त्रिपाठी, सपा और कांग्रेस के टिकट से भी विधायक रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी के कांग्रेस सरकार के पक्ष में वोटिंग करने की स्क्रिप्ट भोपाल की जगह दिल्ली में लिखी गई थी। मुख्यमंत्री कमल नाथ 26 जून से 28 जून तक दिल्ली में थे। त्रिपाठी की नाराजगी का कारण यह भी बताया जा रहा है भाजपा कार्यकाल में उन्हें मंत्रालय नहीं मिलना है। नारायण त्रिपाठी ने अपनी नाराजगी कमलनाथ को बताई जिसके बाद कमल नाथ ने उन्हें उचित सम्मान देने का भरोसा दिया।
28 जून को दिल्ली में सीएम थे कमल नाथ
नारायण त्रिपाठी कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। 2018 का विधानसभा चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर लड़ा था। इससे पहले नारायण त्रिपाठी, सपा और कांग्रेस के टिकट से भी विधायक रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी के कांग्रेस सरकार के पक्ष में वोटिंग करने की स्क्रिप्ट भोपाल की जगह दिल्ली में लिखी गई थी। मुख्यमंत्री कमल नाथ 26 जून से 28 जून तक दिल्ली में थे। त्रिपाठी की नाराजगी का कारण यह भी बताया जा रहा है भाजपा कार्यकाल में उन्हें मंत्रालय नहीं मिलना है। नारायण त्रिपाठी ने अपनी नाराजगी कमलनाथ को बताई जिसके बाद कमल नाथ ने उन्हें उचित सम्मान देने का भरोसा दिया।
2015 में भाजपा में शामिल हुए थे नारायण त्रिपाठी नारायण त्रिपाठी ने 2013 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन 2015 में उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उपचुनाव में उन्होंने भाजपा की सीट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद भी उन्हें शिवराज कैबिनेट में मंत्रालय नहीं बनाया गया जिसके बाद से उनकी नाराजगी की कई खबरें सामने आईं।
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कमलनाथ के समर्थन में वोट करने वाले शरद कोल सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में थे। शरद के पिता जुगलाल कांग्रेस कमेटी में सचिव हैं उन्हें कांग्रेस सरकार के पक्ष में वोटिंग करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।
कमलनाथ के समर्थन में वोट करने वाले शरद कोल सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में थे। शरद के पिता जुगलाल कांग्रेस कमेटी में सचिव हैं उन्हें कांग्रेस सरकार के पक्ष में वोटिंग करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।
मध्यप्रदेश में किसी को नहीं मिला था बहुमत
2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव हुए थे। इस चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। भाजपा को 109 तो कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक है।
2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव हुए थे। इस चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। भाजपा को 109 तो कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक है।