नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाते तो शायद नहीं होता हादसा
इधर करोड़ों रुपए की लागत से बनाई गई हमीदिया की नई बिल्डिंग में वर्षों चले काम के बाद भी अफसर सीवेज सिस्टम को एसटीपी से नहीं जोड़ पाए थे। फायर ऑडिट का काम भी पूरा नहीं हुआ था। वेंटिलेटर सहित अन्य उपकरण भी खरीद नहीं कर सके थे। इस कारण शिशु वार्ड सहित अन्य वार्डों की शिफ्टिंग अटकी हुई थी। अगर शिफ्टिंग हो जाती तो शायद हादसा न होता। अब हादसे के बाद संभागायुक्त गुलशन बामारा ने लोक निर्माण, राजधानी परियोजना प्रशासन, पीआईयू, नगर निगम, एसटीपी इंजीनियर सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर शिशु वार्ड को जल्द से जल्द नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ३6 नवजात शिशुओं की जान बचाने के प्रयासों की प्रशंसा भी की। यह बैठक गांधी मेडीकल कॉलेज में हुई।
तीन दिन में पुराना वार्ड करना है फिट
जिस वार्ड में आग लगी है, उसे तीन दिन के अंदर दुरुस्त करने के निर्देश भी संभागायुक्त ने दिए हैं। इसके लिए उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों के अंडर में काम शुरू करा दिया है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि हमीदिया के नए भवन में गहन शिशु रोग इकाई को स्थानांतरित करने का सुनियोजित प्लान बनाएं और जल्द से जल्द इसे स्थानांतरित करें।
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खरीदने थे उपकरण
हमीदिया की नई बिल्डिंग में शिफ्टिंग में पीडियाट्रिक विभाग के उपकरणों व अन्य विभागों के उपकरण खरीदी का मामला चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के कारण अटका था। खरीदी उन्हें भी करनी थी। प्रस्ताव भेजे गए थे, लेकिन किन्हीं कारणों से काम पूरा नहीं हो पाया।
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बिल्डिंग में वार्ड शिफ्टिंग को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। साथ ही तीन दिन में पुराने वार्ड को व्यवस्थित कराया जा रहा है।
-गुलशन बामरा, संभागायुक्त