– मूडीज या फिच से कराई जाएगी रैंकिंग
इंटरनेशनल बांड जारी करने के लिए इंटरनेशन रैंकिंग की जरूरत होती है, इसलिए विदेशी कंपनी मूडीज या फिच से इंदौर नगर निगम की रैंकिंग कराई जाएगी। इंदौर स्वच्छता में देश में नंबर वन शहर है, इस कारण पहले से इंदौर की रैंकिंग वैल्यू बेहतर है। इस कदम से निगम को इंटरनेशनल रेटिंग का लाभ होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और भविष्य में निवेश के रास्ते खुल सकेंगे। अभी केरल सरकार की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने बीबी रैंकिंग की है। आगे मूडीज या फिच से मध्यप्रदेश को बीबी प्लस रंैकिंग मिलने की संभावना है।
– 120 मेगावाट का प्लांट
इंदौर नगर निगम जलापूर्ति के लिए 120 मेगावाट का सोलर फ्लोटिंग प्लांट लगाएगा। इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जो इस बांड के जरिए जुटाए जाएंगे। यह राशि ग्रीन मसाला बांड के अंतर्गत लंदन स्टॉक और सिंगापुर एक्सचेंज से प्राप्त की जाएगी। एक्सचेंज में अभी 29 मसाला बांड लिस्टेड हैं।
– अभी 20 करोड़ रुपए महीने का खर्च
इंदौर नगर निगम जलापूर्ति पर करीब 20 करोड़ रुपए महीने खर्च करता है। सालाना औसत 240 करोड़ रुपए का बिजली बिल आता है। सोलर फ्लोटिंग पॉवर प्लांट लगने से खर्च घटकर आधा रह जाएगा और निगम को निवेशकों का पैसा चुकाने के बाद भी लगभग एक करोड़ रुपए महीना और हर साल 10 करोड़ की बचत होगी।
– ग्रीन क्रेडिट भी मिलेगा
इंदिरा सागर के बाद इंदौर में प्रदेश का दूसरा फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट लगेगा। सोलर संयंत्र स्थापना से ग्रीन एनर्जी का उत्पादन होगा। एक मेगावाट से 2000 कार्बन क्रेडिट मिलते हैं। 120 मेगावाट का प्लांट लगेगा। इसमें 80 मेगावाट यशवंत सागर और 40 मेगावाट जलूद में लगाना तय किया है। वाटर बॉडी में जगह कम होने पर जलूद के पास अतिरिक्त जगह में 20 मेगावाट प्लांट भी लगाया जा सकेगा। संयंत्र पर 2 लाख कार्बन क्रेडिट मिलेंगे। एक कार्बन क्रेडिट की कीमत एक डॉलर है। इस हिसाब से निगम दो लाख कार्बन क्रेडिट बाजार में बेच सकेगा।
– सात साल में लौटाना होगा 500 करोड़
इंदौर नगर निगम को बांड राशि के 500 करोड़ रुपए सात साल में लौटाना होंगे। यह राशि एस्क्रो खाते में जमा होगी। इसमें राज्य सरकार की गारंटी बांड को रहेगी, ताकि निजी कंपनियों का जोखिम कवर रहे।
– अभी कितनी सोलर एनर्जी
वर्तमान में प्रदेश में सितंबर 2019 की स्थिति में 2071 मेगावाट सोलर एनर्जी का उत्पादन हो रहा है। वहीं, अन्य वैकल्पिक ऊर्जा में पवन ऊर्जा से 2444 मेगावाट, बायोमास ऊर्जा से 117 मेगावाट और लघुजल विद्युत ऊर्जा से 96 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा था।