इसी के साथ मध्य प्रदेश के ही इंदौर शहर के नगर निगम ने मूर्ति विसर्जन एक नई तकनीक इजाद की है। इंदौर नगर निगम ने गणेश विसर्जन के लिए इस बार देश में पहली बार क्रेन, स्केलेटर और जलकुंबी का इस्तेमाल किया है। साथ ही, गणेश विसर्जन करने आए लोगों को घाट के छोर से करीब 20 फीट दूरी पर ही रोक लिया गया और वहां से छोटे और बड़े गणेश को स्केलेटर और क्रेन की मदद से गहरे स्थान पर सुरक्षित विसर्जित किया गया। इसकी कुछ तस्वीरें भी सामने आईं हैं, जिन्हें देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इंदौर प्रशासन द्वारा अपनाई गई इस तकनीक से मूर्ति विसर्जन कितना आसान और सुरक्षित है।
देश के हर विसर्जन स्थल के लिए कितनी जरूरी है ये तकनीक ?
इंदौर नगर निगम द्वारा शहर के अलग अलग विसर्जन स्थानों पर स्थानपित की गई इस तकनीक के बारे में बताने का उद्देश्य लोगों को हादसे से बचाना है। ये भी बताना जरूरी है कि, देशभर में इस व्यवस्था के तहत विसर्जन करना कितना फायदेमंद साबित हो सकता है। हर एक की जान कितनी महत्वपूर्ण है, इसका उदाहरण खासतौर पर इंदौर प्रशासन ने सार्थक करके दिखाया। एक छोटी सी लापरवाही किसी की जान पर कितनी भारी पड़ जाती है, इसे रोकने का बढ़िया विकल्प हर एक शहर में प्रभावी होना आवश्यक है।
इंदौर में विधि विधान से किया गया गणेश विसर्जन
आपको बता दें कि, इंदौर में गणेश प्रतिमाएं नगर निगम ने एकत्रित कीं। इनका विसर्जन करने से पहले भव्य चल समारोह भी निकाला गया। इसके बाद मूर्तियां विसर्जित करने के लिए जवाहर टेकरी पर पहुंची। यहां पर निगम ने नई तकनीकी से बप्पा को विदाई दी गई। इसकी शुरूआत सुबह 11 बजे से कर दी गई। जवाहर टेकरी स्थित खदानों में भरे बारिश के पानी में प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। विधि-विधान और पूजन कर बप्पा को विदाई दी गई।
विसर्जन के दौरान मुस्तैद रहा इंदौर प्रशासन
चल समारोह में संत-महात्मा, बटुक, बैंड-बाजे, ढोल-ताशे आदि शामिल हुए। फूटी कोठी से चल समारोह निकलने के बाद प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए जवाहर टेकरी पर खदान में भरे बारिश के पानी में मूर्तियों को पूरे विधि-विधान और पूजन के बाद सुबह 11 बजे से विसर्जित करना शुरू किया गया। खास बात ये है कि, प्रतिमा विसर्जन के लिए यहां 6 हाइड्रोलिक जेट फ्लेटफॉर्म क्रेन तैयार की गईं। इसमें प्रतिमाओं को रखकर सीधे पानी में गहरे स्थान पर ले जाकर विसर्जित किया गया। गौरतलब है कि, पिछले साल इंदौर में भी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन निगम की लापरवाही सामने आई थी। वहीं, भोपाल में हुए खटलापुरा हादसे के बाद इंदौर में लापरवाही से विसर्जन पर बड़ा बवाल मचा था। इसके बाद जिम्मेदार अफसरों समेत कर्मचारियों पर गाज भी गिरी थी। इसी को देखते हुए इस बार विसर्जन व्यवस्था में नई तकनीक अपनाई गई है। साथ ही, विसर्जन के दौरान अपर आयुक्त, 19 जोनल अफसर समेत अन्य अफसरों के साथ कई कर्मचारी भी मौके पर मौजूद रहे।