अहम बातें
इंटरनेट पर कमलनाथ के बारे में जितनी भी जानकारियां उपलब्ध हैं, उनमें 1980 के बाद की तमाम बातें बताई गईं हैं, लेकिन कमलनाथ के जन्म दिनांक 18 नवंबर 1946 से लेकर 1980 तक कमलनाथ ने क्या किया? ये जानकारी गूगल पर भी उपलब्ध नहीं है। एक जानकारी में ये बात भी सामने आई कि, कमलनाथ की जाति खत्री पंजाबी है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उनके पिता कानपुर के रहने वाले थे, लेकिन इसपर भी असमंजस बना हुआ है। कोई कहता है कि, वो व्यापारी थे, तो कोई मानता है कि, वह किसी संस्थान में नौकरी करते थे। लेकिन हकीकत क्या है, इसकी स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, कमलनाथ की पत्नी और बेटे 23 बड़ी कंपनियों के मालिक हैं। कमलनाथ के करीबी से मिली जानकारी के अनुसार, उनके पिता कानपुर के रहने वाले थे। कमलनाथ का जन्म भी कानपुर में ही हुआ था। लेकिन, नाथ के पिता क्या कारोबार करते थे, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं हैं।
कमलनाथ का राजनीतिक कद
हम बात कर रहे हैं, कांग्रेस के कद्दावर नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, छिंदवाड़ा से पूर्व सांसद, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और अब छिंदवाड़ा शहर की विधानसभा सीट के सदस्य की। उनके कद के बारे में बताने के लिए उनकी सिर्फ इतनी ही उपलब्धियां बता दी जाएं तो ये पार्टी और लोगों में उनके दर्जे की अहमियत बताना काफी होगा। बता दें कि, इंदिरा गांधी के जमाने से कमलनाथ गांधी परिवार के करीबी रहे हैं, इतने करीबी कि एक वक्त कहा जाता था कि, मध्य प्रदेश में बिना कमलनाथ की मंजूरी के कांग्रेस पार्टी में पत्ता भी नहीं हिल सकता।
इंदिरा गांधी मानती थीं तीसरा बेटा
अब बात करेंगे इस बारे में आखिर कमलनाथ को छिंदवाड़ा से इतना प्रेम क्यों है। इस बात का जवाब कमलनाथ के इस बयान में छिपा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि, वे इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे के समान हैं। इमरजेंसी के ठीक बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ। 25 जून, 1975 से लेकर 21 मार्च, 1977 तक भारत में इमरजेंसी लगी रही। इसी दौरान 23 जनवरी, 1977 को इंदिरा गांधी ने अचानक से ऐलान कर दिया कि, देश में चुनाव होंगे। 16 से 19 मार्च तक चुनाव हुए। 20 मार्च से काउंटिंग शुरू हुई और 22 मार्च तक लगभग सारे रिजल्ट आ गए। 1977 के चुनाव में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार समेत पूरा उत्तर भारत इंदिरा गांधी के खिलाफ था, लिहाजा जब नतीजे आए तो कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली। कांग्रेस गठबंधन को मात्र 153 सीटें मिलीं, जबकि एकजुट हो चुके विपक्ष को 295 सीटें मिलीं थीं।
हालात ये थे कि 1971 के चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी समाजवादी नेता राजनारायण को धूल चटाने वालीं इंदिरा गांधी अपनी परम्परागत सीट रायबरेली से बुरी तरह हारीं। लेकिन फिर भी इस निराशा के दौर में समूचे उत्तर और मध्यभारत में कांग्रेस हैरतअंगेज ढंग से दो सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। एक थी राजस्थान की नागौर और दूसरी मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा संसदीय सीट। नागौर से नाथूराम मिर्धा और छिंदवाड़ा से गार्गीशंकर मिश्रा ने जीत हासिल की थी।
संजय गांधी से थी गहरी दोस्ती
आपातकाल के बाद 1979 में देश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया। जब संजय गांधी जेल पहुंचे तो इंदिरा गांधी संजय की देखभाल और सुरक्षा को लेकर चिंतित थीं। कहा जाता है कि तब कमल नाथ ने जान बूझकर एक जज से लड़ाई लड़ी और जज ने उन्हें भी अवमानना के चलते सात दिन के लिए तिहाड़ भेज दिया। इस दौरान वो संजय गांधी के साथ रहे और उनकी देखभाल की।
तीन पीढ़ियों से साथ
कमल नाथ गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों से साथ में हैं। संजय गांधी से कमल नाथ की दोस्ती थी तो राजीव गांधी के भी करीबी रहे। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के भी सबसे भरोसेमंद साथी माने जाते हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के बाद राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमल नाथ को मध्यप्रदेश की सत्ता सौंपी थी।
CM शिवराज ने दी बधाई
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ को 75वें जन्मदिन के मौके पर उन्हें ट्वीट करते हुए बधाई दी। शिवराज ने लिखा- ‘कमलनाथ जी को जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं!’