ट्रेन छूटने तक दिए जाते हैं टिकट आपको बता दें कि जनरल कोच में सफर करने वाले लोगों की इतनी भीड़ उमड़ती है कि उनका ट्रेन में चढऩा ही मुश्किल बन पड़ता है। वहीं जनरल कोच में यात्रा करने वालों को रेलवे स्टेशन पर जब तक टिकट जारी की जाती हैं, जब तक कि ट्रेन रवाना होती है। ऐसे में जनरल कोच में यात्रा करने वालों की संख्या सीमित ही नहीं है। कई बार तो लोग ट्रेन के दरवाजों पर लटकते हुए सफर करते नजर आ जाते हैं।
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जिम्मेदार बताते हैं कि हर कोच की अपनी क्षमता है। फर्स्ट एसी कोच में 18 से 24 बर्थ तक होती हैं। सेकंड एसी में 48 से 54, थर्ड एसी में 64 से 72, स्लीपर में 72 से 80 और जनरल कोच में 90 लोगों के सफर करने की सुविधा होती है। वहीं जनरल कोच में 180 से भी ज्यादा यात्री आम तौर पर सफर करते हैं। जनरल कोच में भीड़ बढऩे की वजह यह भी है कि रेलवे ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए थ्री टायर एसी कोच की संख्या तक बढ़ाई। क्योंकि जनरल कोच के मुकाबले इस सुविधा से रेलवे को ज्यादा रेवेन्यू मिलता था।
जिम्मेदारों का कहना है कि लोगों की यात्रा सुविधाजनक और सुखद बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बता दें कि कोरोना के समय में जनरल कोच में भी रिजर्वेशन की ही तरह टिकट दिए जाते थे। इन्हें सेकंड सीटिंग बना दिया गया था। सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करवाने के लिए जनरल कोच में सीमित टिकट दिए जा रहे थे। हालांकि अब एक बार फिर असीमित जनरल टिकट बांटे जा रहे हैं, जिससे ट्रेनों में एक बार फिर से भीड़ बढ़ी है।