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India Monsoon facts: क्यों जरूरी है मानसून ? IMD कैसा करता है इसकी घोषणा, यहां जानिए सबकुछ

India Monsoon facts: मानसून कब आएगा…..क्या आ गया मानसून….ऐसे प्रश्न तो सभी लोग बार-बार करते हैं लेकिन जानते बहुत कम लोग हैं कि कब और कैसे होती है मॉनसून की घोषणा…..

भोपालAug 08, 2024 / 01:40 pm

Astha Awasthi

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India Monsoon facts: पूरे मध्यप्रदेश में बारिश का दौर जारी है। लगभग एमपी के सभी जिलों में इस बार अनुमान से ज्यादा रिकॉर्ड तोड़ बारिश का दौर चल रहा है। बीते 10 सालों में ऐसी बारिश पहली बार देखने को मिली है। मध्य प्रदेश में अब तक सामान्य से 14% अधिक बारिश हो चुकी है। इसका परिणाम यह हुआ कि 54 में से 30 डैम 60% से 80% तक भर गए हैं। मध्य प्रदेश में बारिश की जरूरत लगभग पूरी हो चुकी है। बारिश से हालात भी खराब हो रहे है।
प्रदेश के अधिकांश सिंचाई डैम 60% से 80% तक भर चुके हैं। कलियासोत के सभी 11, कोलार के 4 गेट खोले गए हैं। तवा डैम के 3 गेट, राजघाट के 12 गेट और संजय सागर के 1 गेट खोले गए हैं। कुल मिलाकर अब तक 15 डैमों के गेट खोले जा चुके हैं। बारिश से मौसम तो सुहाना फील होता है लेकिन कई बार हम सोचते हैं कि ये सब होता कैसे है…तो चलिए जानते है…..

IMD कैसा करता मानसून की घोषणा

जानकारों के मुताबिक बताया जाता है कि मानसून (Monsoon) एक मौसमी हवा होती है, जो बारिश का कारण बनती है। अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को मानसून कहते हैं. जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी बारिश कराती हैं। ये ऐसी मौसमी हवाएं होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक यानी चार महीने तक सक्रिय रहती हैं।

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दूसरे शब्दों में कहें तो मानसून शब्द का प्रयोग मौसमी रूप से बदलते पैटर्न से होने वाली बारिश के चरण को समझने लिए किया जाता है। इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार ब्रिटिश भारत और पड़ोसी देशों में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से बहने वाली बड़ी मौसमी हवाओं को समझने के लिए किया गया था। ये हवाएं क्षेत्र में भारी बारिश लाती हैं।
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कैसे पता चलता है आ गया मानसून ?

भारतीय मौसम विभाग द्वारा देश में मानसून आने की घोषणा तब की जाती है जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मानसून की शुरुआत की घोषणा करने वाले 8 स्टेशनों में लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश हो. इस स्थिति में आईएमडी मानसून आने की जानकारी देता है।

क्यों जरूरी है ‘मानसून’

देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए मानसून बहुत जरूरी है, क्योंकि यह खेती का प्रमुख आधार है। देश में आधी से ज्यादा खेती-किसानी मानसून की बारिश पर ही निर्भर है। अगर मानसून खराब हो, तो पैदावार कम होती है, जिससे महंगाई बढ़ने की आशंका रहती है।
ये समझना भूल होगी कि जहां सिंचाई के दूसरे आधुनिक साधन उपलब्ध हैं, वहां के लिए मानसून जरूरी नहीं है। अगर बारिश नहीं होगी, तो जमीन के अंदर पानी का स्तर धीरे-धीरे बहुत नीचे चला जाएगा और फिर कोई साधन काम नहीं आएगा। बारिश की वजह से ही नदी, तालाब, झील आदि में पानी की उपलब्धता रह पाती है।
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बेहतर मानसून से न केवल पानी के भंडार और अनाजों की उपज पर बढ़िया प्रभाव पड़ता है, बल्कि इससे बिजली के उत्पादन और खपत पर भी असर पड़ता है. चिलचिलाती गर्मी से राहत तो मिलती ही है. तभी तो सबको हर साल झमाझम बारिश का इंतजार रहता है।
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बारिश कम होने के क्या है कारण

शोधकर्ताओं ने बताया है कि वायुमंडल में एरोसोल कणों की अधिक मात्रा के कारण बारिश में कमी रही है। ये कण न केवल बादलों की विशेषताओं को बदलते हैं, बल्कि उनके बनने की दर को भी कम करते हैं, जिससे वर्षा संबंधी विसंगतियां होती हैं। एरोसोल वायुमंडल में मौजूद छोटे कण होते हैं।
ये जलवायु, मौसम, स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। कोयला, तेल और गैस के जलने से ये कण वायुमंडल में इकट्ठा होते हैं, साथ ही सिगरेट के धुएं, तंबाकू के जलने से भी ये कम बनते हैं। एरोसोल के अलावा, वाष्पीकरण का कम होगा, आद्रता में कमी भी बारिश कम होने के कारण हैं।

प्री मानसून बारिश खेती के लिए महत्वपूर्ण

भारत में प्री-मानसून सीजन में बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन से पहले काफी अहम है। खेती के लिए तथा जल संसाधनों के प्रबंधन में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश के कृषि वाले क्षेत्रों में प्री मानसून वर्षा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
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अगस्त और सितंबर भी रहेगा गीला

मौसम विभाग (आइएमडी) लगाताक एक महीने से भारी बारिश का अलर्ट जारी करता हुआ आया है। मौसम विभाग ने जानकारी दी कि देश में अब तक सामान्य से 9% ज्यादा बारिश हो चुकी है। वहीं मध्यप्रदेश की बात करें तो अगस्त और सितंबर में भी सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
इन दो महीनों में 422.8 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार यह ज्यादा रहेगी। अब तक बारिश भले ही सामान्य से अधिक रही है, लेकिन गर्मी ने भी रेकॉर्ड तोड़ दिए। मौसम विभाग के मुताबिक 1901 के बाद देश में जुलाई का औसत तापमान 24.99 डिग्री रहा, जो सामान्य से 0.89 ज्यादा है।
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अफसरों को सतर्क रहने के निर्देश

बीते दिनों कई क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका देख सीएम डॉ. मोहन यादव ने अफसरों को सतर्क रहने और हर जिले से संपर्क में रहने कहा है। उन्होंने कहा, जहां जरूरत हो, मदद मांगे। बड़ी घटना नहीं होनी चाहिए। इधर, पुलिस मुख्यालय ने सभी एसपी को पुल-पुलिया, रपटों, झरनों और पिकनिक स्थलों पर पेट्रोलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

श्रद्धालुओं को किया गया था एयरलिफ्ट

बता दें कि बीते दिनों पहले ही केदारनाथ में शिवपुरी के बदरवार क्षेत्र के 61 यात्री भू-स्खलन के बाद फंस गए थे। वहां फंसे ग्रामीण गोपाल महाराज ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को फोन कर गुना लोकसभा के लोगों के फंसे होने की जानकारी दी और मदद मांगी। इसके बाद राज्य सरकार ने उत्तराखंड से संपर्क साधा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया था कि 51 को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित रुद्रप्रयाग पहुंचाया।

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