भोपाल. किसानों की कर्जमाफी अब राजनैतिक दलों के लिए जीत का हथियार बन गया है। विपक्ष में बैठी पार्टी सत्ता पर पहुंचने के लिए किसानों की कर्ज माफी का एलान कर सत्ता में वापसी करती है। कई राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों के बात करें तो यहां जीत का सबसे बड़ा हथियार किसानों की कर्ज माफी ही थी। किसानों के कर्ज माफी की घोषणा से सियासतदार अपनी राजनीति चमकाने में लगे है या सच में किसानों की तकदीर बदलना चाहते हैं? मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा था कि किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। जिसके बाद कांग्रेस ने 15 साल बाद इन राज्यों की सत्ता में वापसी की। तो यह कहा जा सकता है कि कर्ज माफी का वादा अब जीत की गारंटी है।
दोनों ही राज्यों की सरकारों ने माफ किया कर्ज
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता में 15 साल बाद वापसी करते ही कांग्रेस ने सबसे किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया। किसानों के चेहरे पर इस माफी से खुशी है। हालांकि नीति आयोग ने कर्ज माफी पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि किसानों की कर्जमाफी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि फौरी तौर पर दी जाने वाली राहत है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी किसानों की कर्ज माफी को लेकर यह कह चुके हैं कि ये कोई परमामेंट समाधान नहीं है। लेकिन बात चुनाव और किसान होती है तो इस समय देश के अन्य मुद्दों से ज्यादा चर्चा का विषय देश का अन्नदाता है। चुनाव में किसानों को मुद्दा बनाकर पार्टियां सत्ता में वापसी के लिए राह देखने लगी है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता में 15 साल बाद वापसी करते ही कांग्रेस ने सबसे किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया। किसानों के चेहरे पर इस माफी से खुशी है। हालांकि नीति आयोग ने कर्ज माफी पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि किसानों की कर्जमाफी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि फौरी तौर पर दी जाने वाली राहत है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी किसानों की कर्ज माफी को लेकर यह कह चुके हैं कि ये कोई परमामेंट समाधान नहीं है। लेकिन बात चुनाव और किसान होती है तो इस समय देश के अन्य मुद्दों से ज्यादा चर्चा का विषय देश का अन्नदाता है। चुनाव में किसानों को मुद्दा बनाकर पार्टियां सत्ता में वापसी के लिए राह देखने लगी है।
कई राज्यों में चला कर्ज माफी का दांव, बदल गई सरकार
देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के चुनाव 2017 में संपन्न हुए। इन चुनावों में भाजपा ने 14 साल बाद सत्ता में वापसी की। वापसी की एक बड़ी वजह माना जा रहा भाजपा द्वारा किसानों की कर्ज माफी का एलान। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तरप्रदेश में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर यूपी में भाजपा की सरकार बनी तो प्रदेश की पहली कैबिनेट में किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। जिसके बाद पार्टी की सत्ता में वापसी हुई। हालांकि पीएम मोदी के वादे को पूरा करते ही सीएम योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में किसानों के कर्ज माफी को मंजूरी दी गई।
देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के चुनाव 2017 में संपन्न हुए। इन चुनावों में भाजपा ने 14 साल बाद सत्ता में वापसी की। वापसी की एक बड़ी वजह माना जा रहा भाजपा द्वारा किसानों की कर्ज माफी का एलान। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तरप्रदेश में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर यूपी में भाजपा की सरकार बनी तो प्रदेश की पहली कैबिनेट में किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। जिसके बाद पार्टी की सत्ता में वापसी हुई। हालांकि पीएम मोदी के वादे को पूरा करते ही सीएम योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में किसानों के कर्ज माफी को मंजूरी दी गई।
पंजाब में विपक्ष पर बैठी कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषणा की। किसानो के कर्ज माफी की घोषणा के बाद से पंजाब में लहर बदल गई और भाजपा अकाली दल गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा औऱ कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। वहीं, गुजरात विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने वादा किया कि था कि सरकार बनने के बाद किसानों के कर्ज पर लगने वाले ब्याज को सरकार चुकाएगी जिसके बाद गुजरात में भाजपा की लगातार चौथी बार सरकार बनी। किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर ही तेलंगाना में चुनाव लड़ा गया और तेलंगान में टीआरएस को जीत मिली जबकि कर्नाटक में भी किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर ही सरकार बनी। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण था किसानों की कर्ज माफी।
किस राज्य ने कितना माफ किया किसानों का कर्ज
राज्य | साल | माफ किया गया कर्ज |
तमिलनाडू | 2016 | 5 हजार 780 करोड़ रुपए |
उत्तर प्रदेश | 2017 | 36 हजार करोड़ रुपए |
महाराष्ट्र | 2017 | 34 हजार करोड़ रुपए |
कर्नाटक | 2017 | 34 हज़ार करोड़ रुपए |
राजस्थान | 2017 | 20 हज़ार करोड़ रुपए |
पंजाब | 2017 | 10 हज़ार करोड़ रुपए |
मध्यप्रदेश | 2018 | 38 हजार करोड़ रु. |
छत्तीसगढ | 2018 | 6100 करोड़ रु. |
राजस्थान | 2018 | 18 हजार करोड़ |
क्यों नहीं सुधर रही किसानों की स्थिति
सरकारें किसानों के कर्ज माफी की घोषणा करती हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने कर्जमाफी के लिए जो घोषणा की है कहा जा रहा है कि उससे सरकार पर 38 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। लेकिन कर्जमाफी से देश के किसानों को वास्तविक लाभ मिल रहा है यह एक बड़ा सवाल है। सितंबर 2016 में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश के किसानों पर 12.6 लाख करोड़ का कुल कर्ज बकाया है। देश में पहली बार 1990 में राष्ट्रव्यापी किसान कर्जमाफी की घोषणा की गई थी इसके 2008 में किसानों का कर्ज माफ किया गया था। कर्ज माफी की घोषणाओं के बाद भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। देश में 25 वर्षों के दौरान करीब तीन लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। राज्य सरकारों के साथ-साथ केन्द्र सरकारों ने भी किसानों के कर्जमाफी के लिए घोषणाण की पर किसानों की आर्थिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ किसान कल भी कर्जदार था और आज भी कर्जदार है। देश में डॉ. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए मांग होती रही पर किसी भी सरकार ने किसानों के स्थाई समाधान पर विचार नहीं किया। किसान की कर्ज अब केवल सत्ता में वापसी का एक हथियार है। मध्य प्रदेश को लगातार पांच सालों तक कृषि कर्मण पुरस्कार मिला। ऐसा करने वाला यह देश का पहला राज्य है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा में माना था कि 2014 से 2016 के बीच मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्या की दर में 21 फ़ीसदी की वृद्धि हुई थी।
सरकारें किसानों के कर्ज माफी की घोषणा करती हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने कर्जमाफी के लिए जो घोषणा की है कहा जा रहा है कि उससे सरकार पर 38 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। लेकिन कर्जमाफी से देश के किसानों को वास्तविक लाभ मिल रहा है यह एक बड़ा सवाल है। सितंबर 2016 में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश के किसानों पर 12.6 लाख करोड़ का कुल कर्ज बकाया है। देश में पहली बार 1990 में राष्ट्रव्यापी किसान कर्जमाफी की घोषणा की गई थी इसके 2008 में किसानों का कर्ज माफ किया गया था। कर्ज माफी की घोषणाओं के बाद भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। देश में 25 वर्षों के दौरान करीब तीन लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। राज्य सरकारों के साथ-साथ केन्द्र सरकारों ने भी किसानों के कर्जमाफी के लिए घोषणाण की पर किसानों की आर्थिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ किसान कल भी कर्जदार था और आज भी कर्जदार है। देश में डॉ. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए मांग होती रही पर किसी भी सरकार ने किसानों के स्थाई समाधान पर विचार नहीं किया। किसान की कर्ज अब केवल सत्ता में वापसी का एक हथियार है। मध्य प्रदेश को लगातार पांच सालों तक कृषि कर्मण पुरस्कार मिला। ऐसा करने वाला यह देश का पहला राज्य है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा में माना था कि 2014 से 2016 के बीच मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्या की दर में 21 फ़ीसदी की वृद्धि हुई थी।