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भोपाल

आरजीपीवी में बेंगलुरू मॉडल की तर्ज पर तैयार किया 18 करोड़ का इन्क्यूबेशन सेंटर

-करोड़ों के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर भी खरीदे, 10 करोड़ के फेर में फाइनेंस में अटका मामला-छह साल बाद भी नहीं हो सका शुरू, इस सेंटर से 2 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को मिलना था लाभ

भोपालMar 03, 2024 / 02:43 pm

Uma Prajapati

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राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में बेंगलुरू मॉडल की तर्ज पर इन्क्यूबेशन सेंटर तैयार किया गया है। इसके लिए करीब 18 करोड़ की बिल्डिंग बनाई गई है। इसे नॉलेज सिसोर्स सेंटर (केआरसी) नाम दिया है। इस बिल्डि़ंग के बनाने का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को स्टार्टअप के लिए आइडिया देना और उनके स्टार्टअप को स्थापित करने में मदद करना था। स्थिति यह है कि छह साल बाद भी यह शुरू नहीं हो सका है।
-आधूनिक तकनीकी के कई सोफ्टवेयर खा रहे धूल
स्टार्टअप एवं शोध कार्य के लिए इसी बिल्डिंग में यूनिवर्सिटी सेंट्रलाईड लैब भी तैयार की गई है। इस लैब में लगभग पांच करोड़ के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर हैं। जिनमें मैट्रिक्स लैबोरेटरी (मेटलैब), लैबोरेटरी वर्चुअल इंस्ट्रूमेंट ग्राफिकल यूजर इंटरफेस इंजीनयिरंग सॉफ्टवेयर, वीएलएसआई डिजाइन टूल्स केडेंस पीजी बंडल, केटिया सॉफ्टवेयर आदि उपलब्ध हैं। हार्डवेयर में थ्रीडी प्रिंटर और सोलर एनर्जी आदि से प्रैक्टिकल व रिर्सच के लिए डीएफआईजी कंट्रोल पैनल, पीवी एम्यूलेटर-इनवेटर भी हैं। आधुनिकतम तकनीक और इतने खर्च के बावजूद लैब का कोई फायदा छात्रों को नहीं मिल पा रहा है। छात्र इसका उपयोग अपनी सामान्य पढ़ाई के लिए कर रहे हैं।
-डीपीआर में बदलाव कर 8.5 की जगह 18 करोड़ पर पहुंची कीमत
इन्क्यूबेशन सेंटर (केआरसी भवन ) तैयार करने का प्लान 2013 में तैयार किया गया था। उस समय इसकी कीमत 8.5 करोड़ थी। भवन का काम 2018 में शुरू किया गया था। इस समय भवन की कीमत 18 करोड़ बताई जा रही है, नियम अनुसार डीपीआर में छोटे से छोटे बदलाव के लिए भवन समिति, इंजीनियर, आर्किटेक्ट के साथ कार्यपरिषद की मजूरी लेना जरूरी होता है। सूत्र बताते हैं कि विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में किसी की अनुमति नहीं ली गई।

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छात्रों की नहीं मिल पा रही मदद
कहने को तो विवि में करोड़ों का सेंटर तैयार हो चुका है, लेकिन छात्र-छात्राओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। अधिकारियों के मुताबिक स्टार्टअप शुरू करने के लिए आरजीपीवी हर साल 25 टीमों को एक-एक लाख रुपए (सीड मनी) की राशि देता है, लेकिन छात्र-छात्राओं को स्टार्टअप कैसे खड़ा करना है। स्टार्टअप के लिए जगह आदि की मदद विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रही है। इसका लाभ केवल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि इससे संबंद्ध कॉलेजों में पढऩे वाले लगभग 2 लाख विद्यार्थियों मिलना था।
-कंपनी रजिस्टर सीईओ ही नहीं
इंक्यूबेशन सेंटर के लिए 2021 से आरजीपीवी इनोवेशन स्टार्टअप एंड आंत्रप्रेन्योरशिप सेंटर (राइज) नाम से कंपनी रजिस्टर की गई है। इसके सीएमडी कुलपति प्रो. सुनील कुमार हैं। यानि सीधा होल्ड कुलपति का ही है। लेकिन स्टूडेंट्स की गतिविधि शुरू नहीं हो पा रही हैं। सीईओ नियुक्त करने के लिए भी 2021 से कार्रवाई की जा रही है। इस सेंटर की सुविधा छात्रों को कब से मिलेगी? इसका जवाब कुलपति के पास नहीं है।

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