नए संसद भवन का एमपी कनेक्शन
दिल्ली में बना देश का नया संसद भवन की डिजाइन मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में बने विजय मंदिर की तरह है। पूर्व में इसे लेकर दावे भी किए गए लेकिन सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि इसकी नहीं की गई है लेकिन विजय मंदिर की डिजाइन और संसद भवन की डिजाइन को देखकर दोनों का कनेक्शन साफ समझा जा सकता है। विजय मंदिर के ऊंचे बेस को देखकर इसका आकार और संसद की आकृति एक जैसी ही दिखाई देती है। नए संसद भवन और मंदिर की तस्वीर को देखकर आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं।
विजय मंदिर का इतिहास
इतिहासकारों की मानें तो विजय मंदिर देश के विशालतम मंदिरों में से एक है। विजय मंदिर को कई बार तोड़ा और लूटा गया है। विजय मंदिर का निर्माण परमार काल में परमार राजाओं ने कराया था। इस मंदिर को बाद में औरंगजेब ने ध्वस्त किया था। इतिहासकार बताते हैं कि 1682 के लगभग औरंगजेब ने तोपों से इस मंदिर को तुड़वा दिया था। बाद में जब मालवा का राज्य मराठों के पास आया तो उन्होंने एक बार फिर मंदिर का जीर्णोद्धार काम शुरु किया। वर्तमान में विजय मंदिर बीजा मंडल एएसआई के संरक्षण में है और इसके जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। करीब आधा मील फैलाव में बने विजय मंदिर की ऊंचाई करीब 100 के आसपास है।
नए संसद भवन की खासियत
– नए संसद भवन को तिकोने आकार में डिजाइन किया गया है।
– नए संसद भवन में लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है।
– नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने की क्षमता है।
– दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकते हैं.
– नए संसद भवन में अहम कामकाज के लिए अलग ऑफिस बनाए गए हैं, जो हाईटेक सुविधाओं से लैस हैं।
– कैफे, डाइनिंग एरिया, कमेटी मीटिंग के तमाम कमरों में भी हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं. कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था की गई है.
– नई संसद की सबसे बड़ी विशेषता संविधान हॉल है जो भवन के बीचोंबीच बना है।
– संविधान हॉल के ऊपर अशोकस्तंभ लगा है।