कड़कनाथ के चाहने वाले प्रदेश और देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी संख्या में हैं। कड़कनाथ में प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जबकि फैट और कोलेस्ट्रोल की मात्रा अपेक्षाकृत कम रहती है। इसीलिए इसकी मांग में और ज्यादा इजाफा हुआ है। कोरोना से बचने के लिए लोग इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में चिकन के शौकीनों के लिए इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर भी माना जा रहा है। कड़कनाथ अपने रंग और आकार के कारण भी आकर्षण का केंद्र होता है। इसकी चोंच, कलगी,जुबान,टांगे,चमड़ी और मांस सभी काले होते हैं इसलिए इसे कालामासी भी कहा जाता है। इसमें मिलेनिन पिगमैंट की अधिकता होती है इसलिए ये ह्रदय रोग और डायबिटीज वालों के लिए उत्तम आहार माना जाता है। झाबुआ के कड़कनाथ को जीआई टैग भी मिला हुआ है।
तीन गुना बढ़ी मांग :
आमतौर पर झाबुआ से एक महीने में करीब 2 हजार कड़कनाथ की बिक्री होती है। लेकिन पिछले एक महीने में छह हजार कड़कनाथ बिक चुके हैं। इसी एक महीने में कृषि विकास केंद्र झाबुआ से फॉर्मिंग करने वाले लोग पांच हजार चूजे ले जा चुके हैं। चूजे लेने के लिए राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। कृषि विकास केंद्र में अब ढाई महीने की वेटिंग चल रही है। यानी पैसा जमा करने के ढाई महीने बाद चूजे उपलब्ध कराए जाएंगे। अकेले कृषि विकास केंद्र से 500 कड़कनाथ बिक चुके हैं जबकि आम तौर पर महीने में 70-80 कड़कनाथ की मांग ही आती थी।
लॉकडाउन में 50 लाख का नुकसान :
लॉकडाउन के दो महीने से ज्यादा के समय में इस कारोबार में 50 लाख का नुकसान हो चुका है। आमतौर पर देशी मुर्गे की कीमत 500-600 रुपए होती है जबकि कड़कनाथ की कीमत 1000-1200 रुपए होती है। एक महीने में अकेले झाबुआ से करीब 20 से 25 लाख के कड़कनाथ बेचे जाते हैं। झाबुआ में 300 किसान कड़कनाथ की फॉर्मिंग करते हैं जबकि 100 से ज्यादा लोग उनके विक्रय के काम में लगे हुए हैं।
देश-विदेश में कड़कनाथ की मांग :
देश के दो दर्जन राज्यों में कड़कनाथ की भारी मांग है। इनमें महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश और दिल्ली खास तौर पर हैं। वहीं अरब देशों में भी इसकी मांग हमेशा रहती है। यूएई, दुबई समेत चीन, जापान, नेपाल और आस्ट्रेलिया में भी इसकी खूब डिमांड है। देश के कई राज्यों में अब झाबुआ के कड़कनाथ की फॉर्मिंग होने लगी है। व्यापारी झाबुआ से चूजे ले जाकर अपने यहां से उसका व्यापार करते हैं। ठंड के दिनों में इसकी सबसे ज्यादा मांग होती है। इसे शक्तिवद्र्धक भी माना जाता है।
तुलनात्मक पौष्टिक तत्वों की मात्रा :
कड़कनाथ में प्रोटीन 25-27 फीसदी होता है जबकि मुर्गे की अन्य प्रजाति में 18-20 फीसदी ही पाया जाता है। कड़कनाथ में फैट 0.73 से 1.03 फीसदी होता है तो अन्य प्रजाति में फैट 13- 25 फीसदी होता है। कोलेस्ट्रोल 100 मिलीग्राम में 184.75 मिलीग्राम होता है जबकि अन्य में 218.12 मिलीग्राम होता है। लिनोलिक एसिड कड़कनाथ में 24 फीसदी और अन्य मुर्गे में 21 फीसदी होता है।
औषधीय गुण वाला है कड़कनाथ
– कड़कनाथ की मांग अनलॉक के बाद से अचानक बहुत बढ़ गई है। हमारे यहां चूजों की 2.5 महीने की वेटिंग चल रही है। कड़कनाथ की तीन गुना बिक्री बढ़ गई है। कड़कनाथ को स्वास्थ्यवद्र्धक और औषधीय गुण वाला माना जाता है इसलिए भी इसकी डिमांड में एकदम से उछाल आया है।
– डॉ आईएस तोमर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कृषि विकास केंद्र प्रमुख –