दरअसल सेवानिवृत्त मुख्य सचिवों की पुनर्वास परंपरा की शुरुआत साहनी से ही मानी जाती है। तत्कालीन शिवराज सरकार ने जुलाई 2015 में 1972 बैच के आइएएस साहनी की नियुक्ति एनवीडीए अध्यक्ष पद पर की थी। तब उनकी नियुक्ति पर विवाद भी हुआ था।
क्योंकि उससे पहले साहनी राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इस पद पर भी उनका पुनर्वास मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त होने पर किया गया था। यहां तक कि कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए साहनी की दोनों नियुक्तियों का विरोध किया था।
तबादला नीति बदली – प्रभारी मंत्रियों को दिए अधिकार
कमलनाथ सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को जिला और तहसील स्तरीय तबादलों के अधिकार दे दिए हैं। दो महीने बाद लोकसभा चुनाव है, इसलिए सरकार ने तबादलों को लेकर छूट दी है। इससे जिलों के प्रभारी मंत्रियों की स्थिति मजबूत होगी। इसके लिए सरकार ने तबादल नीति में संशोधन कर दिया गया है।
इसके आदेश शुक्रवार को जारी कर दिए। कांग्रेस तबादलों पर विपक्षी भाजपा के आरोपों से घिरी हुई है। ऐसे में प्रभारी मंत्री लगातार मुख्यमंत्री कमलनाथ से तबादले के अधिकार मांग रहे थे। जिला स्तरीय तबादलों में उनकी सुनी नहीं जा रही थी। अब यह व्यवस्था रहेगी कि तहसील व जिलास्तरीय संवर्ग में जिले के अंदर ही तबादले के लिए कलेक्टर पहले प्रभारी मंत्री से अनुमोदन लेंगे। इस अनुमोदन के बाद ही तबादले होंगे।