भोपाल

यदि अब तक नहीं किया है निवेश, तो भी बचा सकते हैं अपना Income Tax

सिर्फ खर्च पर ही टैक्स की बचत, यह बात पूरी तरह से सही नहीं…

भोपालFeb 08, 2019 / 04:32 pm

दीपेश तिवारी

यदि अब तक नहीं किया है निवेश, तो भी ऐसे बचा सकते हैं आप अपना Tax

भोपाल। केंद्र सरकार ने अपने बजट में 5 लाख तक की आय वालों को आयकर मुक्त कर दिया है,इसके उपर 1.5 लाख तक आप बचत कर टैक्स में छूट पा सकते हैंख् लेकिन यह स्थिति 2019-20 से लागू होगी। ऐसे में अभी 2018-19 का आयकर का पैमाना 2.5 लाख और 1.5 लाख बचत पर ही रहेगा। ऐसे में 31 मार्च तक इनकम टैक्स भरना जरूरी होगा।

यदि आप भी 2.50 लाख से उपर की इनकम ग्रुप में हैं, तो ऐसे में टैक्स बचाने की चिंता ने आपको भी सताना शुरू कर दिया होगा। उसमें भी यदि आपने नौकरी के दौरान निवेश नहीं किया है, तो इसे लेकर आपका अत्यधिक परेशान होना स्वाभाविक है, लेकिन आज हम आपको निवेश नहीं करने के बावजूद अपना टैक्स कैसे बचा सकते हैं, इस बारे में बताने जा रहे हैं…

कई बार ऐसी स्थितियां सामने आती हैं, जिनके लिए हम एकाएक तैयार नहीं होते, लेकिन उनके सामने आते ही हम इससे बचने के बारे में सोचने लगते हैं। ऐसा ही कुछ कई बार इनकम टेक्स के मामले में भी होता है।

जैसे मान लीजिए इस साल इतना ज्यादा खर्च हो गया कि आप निवेश ही नहीं कर सके या बीते साल ही कंपनी में आपका इंक्रीमेंट हुआ और आपकी सैलरी टैक्सेबल ब्रैकेट में आ गई है और फरवरी महीने में ही आपको टैक्स बचाने के लिए निवेश से जुड़े डॉक्यूमेंट्स जमा कराने हैं, लेकिन यदि आपके सामने मुश्किल यह है कि आपने टैक्स बचाने के लिहाज से कहीं पर भी निवेश नहीं किया, फिर भी आप हर हाल में अपना टैक्स बचाना चाहते हैं।

इस संबंध में सीए नितिन झा कहते है कि आमतौर पर करदाता यही जानते हैं कि वह सिर्फ खर्च पर ही टैक्स की बचत कर सकते हैं, जबकि यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। क्योंकि कई ऐसी चीजें भी हैं जिससे बिना निवेश के भी टैक्स की बचत क्लेम की जा सकती है।

खर्च भी बचा सकता है टैक्स: आमतौर पर लोगों को यह जानकारी कम होती है कि उनकी ओर से विभिन्न मदों में किया गया खर्च भी एक वित्त वर्ष के दौरान उनका टैक्स बचा सकता है।

1. आश्रित के इलाज पर खर्च:
अगर कोई व्यक्ति खुद के ऊपर या अपने ऊपर आश्रित व्यक्ति की विशेष बीमारी के उपचार में खर्च करता है, तो उसे 80डीडीबी के तहत कर लाभ मिलता है। इसमें माता-पिता, बच्चे और भाई-बहन शामिल होते हैं। एचयूएफ के मामले में इस कटौती का लाभ किसी भी सदस्य की ओर से किए गए व्यय के लिए किया जा सकता है।

 

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: 80DDB की टैक्स कटौती का क्लेम?
आयकर की धारा 80DDB के अंतर्गत टैक्स डिडक्शन का क्लेम इंडिविजुअल या एचयूएफ की ओर से किया जा सकता है। किसी कॉरपोरेट या संस्था की ओर से इस तरह का क्लेम नहीं किया जा सकता है। वहीं इस तरह का टैक्स डिडक्शन क्लेम सिर्फ करदाता की ओर से किया जा सकता है। यह सेक्शन नॉन रेजिडेंशियल इंडियन पर लागू नहीं होता है। डिडक्शन सिर्फ उसी व्यक्ति की ओर से किया जा सकता है जिसने खर्चा किया हो।
: 80DDB – किसके इलाज के खर्च पर क्लेम…
80DDB के अंतर्गत सिर्फ वही व्यक्ति टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकता है जिसने इलाज के लिए खर्चा किया हो। हालांकि, चिकित्सा खर्च इन लोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है…

इंडिविजुअल के मामले में चिकित्सा व्यय करदाता या उसके किसी आश्रित के चिकित्सा उपचार पर किया जा सकता है। इस खंड के संबंध में ‘आश्रितों’ में पति-पत्नी, उनके बच्चे, उनके माता-पिता, व्यक्ति या किसी की बहनें या उनमें से कोई भी शामिल माना जाएगा।
हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के मामले में चिकित्सा व्यय करदाता या उसके किसी आश्रित के चिकित्सा उपचार पर किया जा सकता है।

: 80DDB – किस तरह का उपचार शामिल…
निर्दिष्ट रोगों या बीमारियों के चिकित्सा उपचार के लिए किए गए चिकित्सा व्यय पर 80DDB के तहत टैक्स कटौती क्लेम करने की अनुमति मिलती है। इसमें इन-इन बीमारियों का उपचार शामिल माना जा सकता है।

न्यूरोलॉजिकल बीमारी, जिसकी पहचान एक विशेशज्ञ की ओर से की गई हो और जहां विकलांगता का स्तर 40% या उससे अधिक प्रमाणित किया गया हो।

 

 

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इसके इलावा इसमें डिमेंशिया (पागलपन), डिस्टोनिया मस्कुलरम डिफॉर्मन्स. चोरिया, मोटर न्यूरॉन डिजीज़, एटेक्सिया, अल्फासिया, पर्किंसन डिजीज़ और हेमीबलिस्मस शामिल होती हैं।


: मैलाइन कैंसर।
: क्रोनिक रेनल फेल्योर।
: हिमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे की हीमोफीलिया या थैलेसीमिया।

: AIDS- एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम


इन डॉक्यूमेंट्स की होती है जरूरत…

: 80DDB के अंतर्गत टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए करदाता की ओर से उपचार के आवश्यक प्रमाण पत्र देना अनिवार्य है और साथ ही यह भी साबित करना होगा कि वास्तव में इलाज किया गया है। इसलिए यह अनिवार्य है कि एक योग्य डॉक्टर से उपचार का प्रिस्क्रिप्शन लिया जाए।

इससे पहले सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों से इस तरह का प्रिस्क्रिप्शन प्राप्त करना आवश्यक था। हालांकि वित्त वर्ष 2016-17 में इसमें थोड़ी ढील दी गई और अब प्रिस्क्रिप्शन को किसी प्राइवेट अस्पताल के संबंधित विशेषज्ञ से भी प्राप्त किया जा सकता है।

न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारी में न्यूरोलॉजी में डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन वाले न्यूरोलॉजिस्ट से एक प्रिस्क्रिप्शन लेना अनिवार्य है, या उसके पास इससे मिलती जुलती डिग्री होनी चाहिए।

मैलाइन कैंसर की स्थिति में ऑन्कोलॉजी में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन वाले एक ऑन्कोलॉजिस्ट से या इससे मिलती जुलती डिग्री वाले डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन लेना अनिवार्य है।

इसके अलावा ये धाराएं भी हैं आपके काम की…

: 80डीडी के तहत फायदा- अगर कोई विकलांग व्यक्ति आप पर आश्रित है तो विकलांग आश्रित के चिकित्सा उपचार पर भी 80डीडी का फायदा उठाया जा सकता है। इन आश्रितों में माता-पिता, जीवनसाथी, बच्चे, भाई और बहन जो भी आप पर आश्रित हों।

इस सेक्शन के अंतर्गत कुल कटौती की सीमा 75,000 रुपए सालाना है। अगर आश्रित व्यक्ति 90 फीसद तक विकलांग है तो उस पर 1,25,000 रुपये की कर छूट का दावा किया जा सकता है।

 

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: एजुकेशन लोन- अगर आपने अपने लिए, पत्नी या बच्चे के लिए एजुकेशन लोन लिया हुआ है या फिर आप किसी स्टूडेंट के कानूनी रूप से अभिभावक है तो सेक्शन 80ई के तहत लोन के लिए भुगतान की गई ब्याज राशि पर आप टैक्स कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।

किसी भी वित्त वर्ष में भुगतान की गई कुल ब्याज राशि बिना किसी लिमिट के इस कटौती के लिए वैध है। स्कूल की ट्यूशन फीस भी सेक्शन 80सी के टैक्स बेनिफिट्स के दायरे में आती है।

टैक्स बेनिफिट की राशि 1.5 लाख रुपए प्रति वर्ष की कुल सीमा के भीतर होनी चाहिए। टैक्स के लिहाज से फीस करदाता की टोटल ग्रॉस इनकम को कम देता है जिससे टैक्स देनदारी भी कम हो जाती है।

: 80जी के तहत फायदा- आयकर की धारा 80जी के तहत भी आप कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप अगर किसी स्वयंसेवी संस्था से 80जी सर्टिफिकेट लेते हुए उसे डोनेशन देते हैं तो आप कर लाभ का फायदा ले सकते हैं।

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