दरअसल बदलते मौसम में मौसमी बीमारियां उन लोगों को ज्यादा तंग करती हैं, जिनकी जीवनी शक्ति (इम्यूनिटी) (stamina power) कमजोर हो गई है। ऐसे में लोगों को अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity power) को बेहतर करना होगा, ताकि वे रोगों से लड़ सकें।
डॉ. राजकुमार बताते हैं कि जीवित लोगों में रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) नाम का एक ऐसा मेकनिजम होता है, जो इन बैक्टीरिया, वायरस और माइक्रोब्स को शरीर से दूर रखता है।
इंसान का इम्यून सिस्टम ( immunity power ) कमजोर होते ही, जीवाणु शरीर पर हमला कर देते हैं। और प्रतिरोधक क्षमता की हार के लिए ताक लगाए बैठे माइक्रोब्स बॉडी को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। यानी हमारे शरीर के भीतर एक प्रोटेक्शन मेकनिजम है, जो शरीर की तमाम रोगों से सुरक्षा करता है। इसे ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं।
आयुर्वेदिक तरीके जो बढ़ाएंगे आपकी प्रतिरोधक क्षमता : Ayurveda which can increase our immunity…
आयुर्वेद के डॉक्टर राजकुमार के अनुसार प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने केलिए आप रोज त्रिफला का सेवन करें क्योंकि यह शरीर को टॉक्सीफाइ (विषरहित) करता है, साथ ही त्वचा को फिर से युवा कर देता है।
जानिये कैसे बढाएं…
1. व्यायाम करें:
आयुर्वेद के डॉक्टर कहते हैं कि कठिन व्यायाम पित्त दोष को बढ़ा सकता है। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि आप व्यायाम न करें। जिम को छोड़ दें और हल्के व्यायाम जैसे जॉगिंग और योग आदि करें।
2. पंचकर्म है बहुत खास:
आयुर्वेद के डॉक्टर्स का मानना है कि पंचकर्म रिजुवेनेशन थेरेपी के लिए मॉनसून सबसे बढ़िया समय है। डॉक्टरों के मुताबिक इस दौरान शरीर हर्बल तेल और थेरेपी को ग्रहण करने के लिए सबसे अच्छा होता है क्योंकि मॉनसून के समय वातावरण धूलकणों से मुक्त, नमीयुक्त और ठंडा होता है और इसलिए यह स्वास्थ्य सुधार के लिए बेहतर होता है।
3. पंचकर्म में तेल और मसाज के माध्यम से शरीर को डिटॉक्सीफाइ किया जाता है। पंचकर्म शरीर की अशुद्धता को साफ करता है और शारीरिक व मानसिक ताजगी प्रदान करता है।
बरसात के मौसम में ऐसे रखें अपना ख्याल : Good Habites –: मसालेदार खाने को कुछ दिनों के लिए टाटा-बाय-बाय कहें।
: हल्के भोजन का चुनाव करें।
: फल-सब्जियों को अपने खान-पान में शामिल करें, लेकिन ध्यान रखें की वे साफ ही हों।
: पत्तेदार साग ना खाएं।
: खाने में तेल का इस्तेमाल कम करें।
: व्यायाम जरूर करें।
: दिन के समय दूध ना पीएं।
: ठंडा पानी पीने से बचें।
: धूप से बचें।
: तुलसी का उपयोग जरूर करें।
: दिन के समय न सोएं।
: अपने आस-पास सफाई रखें।
संक्रामक के ये हैं खास कारण:
डॉ. राजकुमार के अनुसर मानसून आपके लिए साल का सबसे पसंदीदा महीना हो सकता है, लेकिन यह न भूलें कि बारिश अपने साथ कई संक्रामक बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया, डायरिया और चिकनगुनिया आदि लेकर आती है।
आयुर्वेद कहता है कि मानसून पित्त को बिगाड़ देता है, जिसके कारण पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है। हवा में फैली आद्रता स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं जैसे अपच, संक्रमण, बाल का झड़ना और त्वचा संबंधी रोगों आदि का कारण बनती है।
इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय : increase immunity power :
रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण शरीर खुद कर लेता है। सभी ऐसी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए। इनकी मदद से शरीर इस काबिल बन जाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण शरीर खुद कर लेता है। ऐसा नहीं है कि आपने बाहर से कोई चीज खाया और उसने जाकर सीधे आपकी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा कर दिया। इसलिए ऐसी सभी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए।
इनकी मदद से शरीर इस काबिल बन जाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके। आयुर्वेद के मुताबिक, कोई भी खाना जो आपके ओज में वृद्धि करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार है।
जो खाना अम बढ़ाता है, वह नुकसानदायक है। बाजार में मिलने वाले फूड सप्लिमेंट्स का फायदा उन लोगों के लिए है, जो लोग खाने में सलाद नहीं लेते, वक्त पर खाना नहीं खाते, गरिष्ठ और जंक फूड ज्यादा खाते हैं, वे अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन सप्लिमेंट्स की मदद ले सकते हैं।
इसके अलावा प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए। विटामिन सी और बीटा कैरोटींस जहां भी है, वह इम्युनिटी बढ़ाता है।
इम्यूनिटी की नींव गर्भावस्था से ही पड़ने लगती है। इसलिए जो माताएं चाहती हैं कि उनके बच्चे की इम्यूनिटी बेहतर रहे, उन्हें इसके लिए तैयारी गर्भधारण के वक्त से ही शुरू कर देनी चाहिए। गर्भावस्था में स्मोकिंग, शराब, स्ट्रेस से पूरी तरह दूर रहें। पौष्टिक खाना लें। गर्भवती महिलाएं अच्छा संगीत सुनें और अच्छी किताबें पढ़ें।
आयुर्वेद में रसायन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद मददगार होते हैं। रसायन का मतलब केमिकल नहीं है। कोई ऐसा प्रॉडक्ट जो एंटिऑक्सिडेंट हो, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला हो और स्ट्रेस को कम करता हो, रसायन कहलाता है।
मसलन त्रिफला, ब्रह्मा रसायन आदि, लेकिन च्यवनप्राश को आयुर्वेद में सबसे बढि़या रसायन माना गया है। इसे बनाने में मुख्य रूप से ताजा आंवले का इस्तेमाल होता है।
इसमें अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय समेत कुल 40 जड़ी बूटियां डाली जाती हैं। अलग-अलग देखें तो आंवला, अश्वगंधा, शतावरी और गिलोय का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जबर्दस्त योगदान है। मेडिकल साइंस कहता है कि शरीर में अगर आईजीई का लेवल कम हो तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। देखा गया है कि च्यवनप्राश खाने से शरीर में आईजीई का लेवल कम होता है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में यह हैं खास – हल्दी, अश्वगंधा, आंवला, शिलाजीत, मुलहठी, तुलसी, लहसुन, गिलोय।