भोपाल। आज देश में लैपटॉप रखने वाली आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। स्कूल, कॉलेज, प्रोफेशन में लैपटॉप का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। इसके यूजर्स जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं, उतनी ही तेजी से लैपटॉप चोरी होने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। लैपटॉप चोरी हो जाने के बाद आप एफआईआर दर्ज करा दें, फिर भी कई मामलों में लैपटॉप नहीं मिल पाता है। उसकी कई वजहें हो सकती हैं, पर यदि आप दोबारा अपना लैपटॉप हासिल करना चाहते हैं तो उसका एक आसान सा तरीका है….
भोपाल में हर साल 400 लैपटॉप हो रहे चोरी
यदि बात मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की करें तो यहां हर साल चार सौ से अधिक लैपटॉप चोरी की वारदात होती हैं। इनमें पुलिस महज 5 फीसदी ही चोरी गए लैपटॉप बरामद कर पाती है। बरामदगी इतनी कम होने की पहली वजह लैपटॉप तलाशने में पुलिस का दिलदस्पी नहीं लेना, वहीं दूसरी वजह फरियादी की एक छोटी से लापरवाही है।
ये नंबर जरूर रखें अपने पास
भोपाल के क्राइम ब्रांच एएसपी शैलेन्द्र सिंह चौहान बताते हैं कि फरियादी लैपटाप चोरी का मामला दर्ज कराने के बाद फुरसत हो जाता है। पुलिस जब फरियादी से लैपटॉप का मैक एड्रेस मांगती है तो उनके पास नहीं होता। फरियादी दलील देता है कि उसे दुकानदार ने यह नंबर दिया ही नहीं है। रसीद में भी मैक एड्रेस नहीं मिलता। मैक नंबर नहीं होने की वजह से लैपटॉप किस इंटरनेट से जुडा़ है इसकी जानकारी नहीं मिल पाती। ऐसे में लैपटॉप कहां-किस लोकेशन में चल रहा है इसकी सर्चिंग कर पाना मुश्किल होता है।
ऐसे पाएं मैक नंबर
मैक एड्रेस एक ऐसा नंबर है जिसके द्वारा आपके कम्प्युटर-लैपटॉप में लगे नेटवर्क एडेप्टर को पहचाना जा सकता है। मैक एड्रैस में छह जोड़ी अंक होते हैं। हर जोड़ी को कोलोन (;) द्वारा विभाजित किया जाता है। किसी नेटवर्क से जुडने के लिए राउटर को अपना मैक एड्रैस देने की आवश्यकता पड़ सकती है। मैक एड्रेस को फिजिकल एड्रेस भी कहा जाता है। यह मोबाइल फोन के आईएआई नंबर की तरह ही होता है।
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