श्वेता जैन की थी भूमिका
बताया जा रहा है कि विधायकों को फंसाने के मामले में श्वेता विजय जैन की अहम भूमिका थी। इसकी तह तक जाने के लिए ही एटीएस को जिम्मा सौंपा गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ भी इस पूरे मामले की मॉनीटरिंग कर रहे थे।
एटीएस जांच की फीडबैक मिला कि इस ब्यूटी ब्लैकमेलरों ने दो मंत्रियों को फंसा लिया है, लेकिन तीसरा टारगेट पूरा होने से पहले ही एटीएस ने कॉल डिटेल्स के जरिए इसका भंडाफोड़ कर दिया। पहले यह जांच साइबर सेल को देनी थी, लेकिन उसके एक अधिकारी के आपत्तिजनक वीडियो आने के बाद जांच एटीएस को सौंप दी गई थी।
दरअसल, श्वेता जैन की भाजपा नेताओं से 2012 से ही नजदीकियां थीं। 2013 में विधानसभा का टिकट भी मांगा था लेकिन एक वीडियो आने के बाद दावेदारी खत्म हो गई थी। सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही उसने अपने ब्लैकमेलिंग की स्टाइल में परिवर्तन किया। कांग्रेस में दखल बढ़ाने के लिए उसने टीम भी तैयार की और कांग्रेस नेताओं की नजदीकी रही बरखा सोनी को जोड़ा।
टीम ए में श्वेता विजय जैन के साथ रिवेरा टाफन में रह रही सहेली स्वाप्निल जैन, लून लाइन में पड़े तीन आईएएस, दो आईपीएस,तीन पूर्व मंत्री, चार विधायक भी थे। श्वेता के भरोसेमंद तीन पूर्व मंत्रियों में एक सरकार गिराने का बार-बार बयान देकर सुर्खियों में रहे। ये टीम एनजीओ के नाम पर पैसा कमाती थी।
सरकार बदलने के बाद श्वेता विजय जैन ने टीम बी बनाई। इसकी मुखिया कांग्रेस में रसूख रखने वाली बरखा को बनाया। इसकी मदद से आरती दयाल को सहयोगी बनाया। उसने करीब 19 लड़कियों को जोड़ा। जिन्हें राजनीतिक या प्रशासनिक गलियारों में नहीं देखा गया। इन्हीं युवतियों और नेताओं के साथ संबंध बनाने का वीडियो क्लिप बरामद हुई है।
बरामद वीडियो क्लीपिंग्स की प्रारंभिक जांच और पूछताछ में पता चला है कि टारगेट पर कुल 100 नेता, अफसर व कारोबारी थे। इनमें से 40 लोगों को हनी ट्रैप कर ब्लैकमेल किया जा चुका है। इसमें दो पूर्व सीएम, 2 मंत्री, 3 पूर्व मंत्री, 1 पूर्व सांसद, 15 आइएएस, 8 आइपीएस के साथ ही कुछ बड़े व्यापारी भी हैं। इंदौर एटीएस टीम के सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार महिलाओं ने टारगेट किए लोगों की बकायदा सूची बना रखी थी। इसकी जांच की जा रही है। कॉल डीटेल्स के माध्यम से 50 से ज्यादा महिलाओं के नंबर भी एटीएस को मिले हैं। इनका उपयोग ये शिकार फंसाने के लिए करती थीं। एटीएस को लैपटॉप में कई पोर्न वीडियो मिले हैं।