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नवाबी दौर में बनी सबसे ज्यादा मस्जिदें
शहर में सबसे ज्यादा मस्जिदों की तामीर नवाबी हुकूमत में की गई हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा मस्जिदों भोपाल की बेगमात ने बनवाई हैं। अदब के शहर भोपाल में इन दिनों माहे रमज़ान खामोशी से जारी हैं। क्योंकि, ऐसा पहली बार हो रहा है कि, इस माह में रात भर जागने वाला ये शहर किसी छुपे दुश्मन से लड़ने के लिए अपने घरों में इबादत कर रहा है। पूरी दुनिया में इन दिनों खुदा से इस छुपे दुश्मन से निजात की दुआ मांगी जा रही है।
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फ्रांसिसी और तुर्की शैली में बनी है ये खूबसूरत मस्जिद
फ्रांसिसी और तुर्की शैली में बनी मशहूर सूफिया मस्जिद शहर के कोह-ए-फिजा इलाके के अहमदाबाद पैलेस के नज़दीक बनी हुई है। नवाब सुल्तान जहां बेगम ने भोपाल रियासत की बगडोर संभालने के बाद शहर से बाहर अपने लिए एक बुजुर्द शख्सियत शाह जिया उद्दीन फारूखी की टेकरी पर अपने मरहबन शौहर अहमद अली खां के नाम से अहमदाबाद पैलेस बसाया था और यहीं कसरे सुल्तानी की तामीर भी की थी।
यूं मस्जिद का नाम पड़ा सूफिया
बेगम सिल्तान जहां के साहबजादे हमीद उल्लाह खां जब नवाब भोपाल बने तो उन्होंने अपने लिए अलग से किसी महल की तामीर नहीं करवाई बल्कि कसरे सुल्तानी में ही एक हिस्से को रेनोवेट करवा कर उसी में रहने लगे। उन्होंने ही यहां सन 1940 खान बहादुर हामिद हुसैन इंजीनियर से फ्रांसिसी तर्ज पर एक मिनार वाली मस्जिद की तामीर करवाई थी। हालांकि, यहां पहले से ही मौलवी जियाउद्दीन की बनवाई मस्जिद मौजूद थी। इसका नाम तुर्की की मशहूर मस्जिद अवा सूफिया से मिलता जुलता मस्जिद सूफिया रखा गया।
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मस्जिद के आगोश में दफ्न हैं मां-बेटे
मस्जिद से लगा हुआ एक बाग भी है, जो इन दिनों उजाड़ पड़ा हुआ है। नवाब हमीद उल्लाह खां की वालिदा सुल्तान जहां बेगम 1930 में यहीं सुपुर्दे खाक की गईं थीं। हमीद उल्लाह खां की भी यही ख्वाहिश थी कि, उन्हे उनकी मां के कदमों में ही दफनाया जाए। इस तरह दोनो मां-बेटे इसी मस्जिद की आगोश में तदफीन हैं।
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मस्जिद की खूबसूरती में चार चांद लगाती है ये चीज
उर्दू के बड़े सहाफी आरिफ अजीज ने अपनी किताब में इस मस्जिद के बारे में कई खास बातें लिखीं हैं। उन्हीं की किताब के मुताबिक, इस मस्जिद का रकबा 141135 वर्ग फीट है। वैसे तो इस मस्जिद की इमारत में लगी हर चीज ही बेहद खूबसूरत हैं, लेकिन इसकी संग मरमर की बनी सफेद मीनार और दो हरे गुंबद इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।