Hindi Diwas Special : ‘भारत के दिल’ में रहने वाले इन रचनाकारों ने हिंदी को दिलाई दुनियाभर में खास पहचा
Hindi Diwas Special : मध्यप्रदेश सहित पुरे देश में इस समय 7 से 14 सितंबर तक हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। एमपी के दिल से निकले कई साहित्यकारों ने हिंदी की बगियां को साहित्य के कई सुन्दर फूलों से सजाया है।
Hindi Diwas Special : भारत का दिल कहे जाने वाला मध्य प्रदेश ना सिर्फ अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में इसका बड़ा योगदान है। धरती पर हिंदी को ऊंचाइयों तक ले जानें वाले कई महान साहित्यकारों ने इसी मध्य प्रदेश की धर्ती पर जन्म लिया और इसी का नाम रोशन किया है। उन हस्तियों ने न सिर्फ अपनी रचनाओं से हिंदी को समृद्ध किया, बल्कि लोगों के बीच इसे लोकप्रिय बनाने में जरुरी भूमिका भी निभाई है। इनमें माखनलाल चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमारी चौहान, बालकवि बैरागी जैसे कई जाने-माने नाम शामिल हैं।
मध्य प्रदेश समेत पुरे देश में इस समय हिंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है। 7 से 14 सितंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में हिंदी के उत्थान से लेकर इसके भूत, भविष्य और वर्तमान स्थितियों की चर्चा होती है। ऐसे में एमपी के दिल से निकले उन साहित्यकारों के नाम की चर्चा जरूर होगी जिन्होंने उसकी बगियां को साहित्य के कई सुन्दर फूलों से सजाया है। चलिए जानते हैं उनके बारे में।
हिंदी साहित्यकारों में माखनलाल चतुर्वेदी एक बड़ा नाम है। इनका जन्म एमपी के खंडवा में हुआ था। माखनलाल चतुर्वेदी को देशभर में प्रसिद्ध कवी, लेखक और पत्रकार के रूप में जाना जाता है। उनकी कविताओं में देशभक्ति और लोगों के लिए संवेदनाओं की भरमार देखने को मिलता है। इन्होने आजादी की लड़ाई में भी अहम् भूमिका निभाई है। हिंदी को जान-जान तक पहुंचाने में इनके कार्यों को आज भी याद किया जाता है।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म मध्यप्रदेश के निमाड़ जिले में हुआ था। ये हिंदी की लोकप्रिय कवयित्रियों में शुमार है। साथ ही सुभद्रा ने आजादी की लड़ाई में अहम् रोल अदा किया था। उनकी लेखनी ने हिंदी को एक नई पहचान दी और भारतीय महिलाओं की संघर्षशील तस्वीर को अपने साहित्य के जरिये लोगों के बीच रखा। उनकी कविता “झाँसी की रानी” हिंदी साहित्य में हमेशा के लिए अमर हो गयी है।
रचनाएं – उन्मादिनी, असमंजस, अभियुक्त, सोने की कंठी, नारी हृदय, पवित्र ईर्ष्या, अंगूठी की खोज, चढ़ा दिमाग, वेश्या की लड़की
-नरेश मेहता
नरेश मेहता रीवा जिले के एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार थे, जिन्हें उनके काव्य और गद्य लेखन के लिए जाना जाता है। उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
रचनाएं – अरण्या, उत्तर कथा, एक समर्पित महिला, कितना अकेला आकाश, यह पथ बन्धु था, हम अनिकेतन
-वीरेंद्र जैन
मध्य प्रदेश की धरती पर जन्मे व्यंग के क्षेत्र में वीरेंदर जैन का विशेष योगदान रहा है। उनकी व्यंगात्मक कहानिया समाज में फैली बुराइयों को उजागर करती है। उनकी रचनाएं न सिर्फ मनोरंजन करती हैं, बल्कि समाज सुधार का संदेश भी देती हैं। उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहन दृष्टिकोण रखा और इसे अपनी लेखनी में प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया।
रचनाएं – अनातीत, सुरेखा-पर्व, प्रतीक:एक जीवनी, शब्दबध, सबसे बड़ा सिपहिया, रावण की राख, किस्सा मौसमी प्रेम का, पटकथा की कथा, रचना की मार्केटिंग
-बालकवि बैरागी
नंदराम जिन्हें बालकवि बैरागी नाम से जाना जाता है। यह मध्यप्रदेश के एक प्रसिद्ध हिंदी कवी, लेखक और पॉलिटिशियन थे। उनकी कविताओं में ग्रामीण जीवन, देशभक्ति, और मानवीय संवेदनाएं देखने को मिलती है । उनकी रचना झूठा सच और दो दो हाथ ने हिंदी कविता में एक नया आयाम जोड़ा और आम जनता के दिलों में जगह बनाई।
रचनाएं – दो दो हाथ, गौरव-गीत, दरद दीवानी, दो टूक, भावी रक्षक देश, चाँद में धब्बा आदि।
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