तिलहन संघ में सुपरवाइजर बेन्नी पीएम के मामले में कोर्ट ने यह आदेश दिया है। 1983 में सुपरवाइजर के पद पर नियुक्ति हुई थी। संघ के परिसमापन के बाद 2000 में सामान्य प्रशासन विभाग में प्रतिनियुक्ति दी गई। 2016 तक अलग-अलग प्रतिनियुक्ति पर मप्र विधानसभा के उपाध्यक्षों के साथ अटैच किया गया। इस दौरान चौथे वेतनमान का लाभ मिल रहा था। 2016 में तिलहन संघ से वाणिज्यिक कर विभाग में संविलियन कर लिया गया। इससे वे चौथे वेतनमान से छठे वेतनमान में शामिल हो गए।
5वां वेतनमान ना मिलने से प्रतिमाह लगभग छह हजार रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। 2016 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसी बीच 2022 में वे सेवानिवृत्त हो गए। बेन्नी का कहना है कि इसके बाद भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी। अब हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद उम्मीद जगी है कि पांचवें वेतनमान का लाभ मिल सकेगा।
कोर्ट ने क्या कहा
मप्र हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को वीसी के जरिए हाजिर रहने के निर्देश दिए थे। 8 जनवरी को सुनवाई में एस. धनराजू, (कमिश्नर वाणिज्यिक कर इंदौर) हाजिर हुए। उन्होंने कोर्ट से चार महीने का समय मांगा। कोर्ट ने आदेश में चार सप्ताह में पांचवें वेतनमान का लाभ देने के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। ऐसा नहीं होने पर अगली सुनवाई में 11 फरवरी को पुन: हाजिर रहने को कहा है।