मध्यप्रदेश में कर्मचारियों के रिटायरमेंट के अनेक प्रावधानों में अंतर्गत 50:20 का फॉर्मूला (50 साल की आयु अथवा 20 साल की सेवा अवधि) भी लागू है। इस प्रावधान के तहत रिटायर कर दिए गए एक कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के हाईकोर्ट ने समय से पहले रिटायरमेंट पर रोक लगा दी।
एमपी हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि 50:20 फॉर्मूले में भी नियमों का पालन करना अनिवार्य है। नियमों का पालन किए बिना राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी कर्मचारी को रिटायर नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने संबंधित कर्मचारी को रिटायरमेंट की तिथि तक की आधी सेलरी देने का भी आदेश दिया।
सतना के दीपक बाजपेयी सन 1996 में सामाजिक न्याय विभाग में चपरासी नियुक्त हुए थे। 2016 में उन्हें पदौन्नति देते हुए सहायक ग्रेड 3 बना दिया गया लेकिन 2018 में समय से पूर्व ही रिटायर कर दिया। इस पर दीपक बाजपेयी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर बताया कि उनका सर्विस रिकॉर्ड देखे बिना ही संबंधित कमेटी ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति यानि वीआरएस दे दिया था।
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि अवकाश स्वीकृति के बिना ही अनुपस्थित रहने की वजह से दीपक बाजपेयी को वीआरएस दिया गया है। इधर याचिकाकर्ता का कहना था कि पूरी सेवा अवधि में उन्हें केवल एक बार अनुपस्थित रहने पर चेतावनी दी गई थी।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक जैन ने दीपक बाजपेयी के वीआरएस के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने उन्हें पूर्ण समय पर रिटायरमेंट की उम्र तक आधी सेलरी देने का भी आदेश दिया।