आलम यह है कि मध्यप्रदेश के अस्पतालों में ऐसे युवाओं की संख्या प्रति तीन माह में 50- 80 तक पहुंच गई है। तनाव, सिरदर्द और बेचैनी होने पर 16 से 34 साल तक के युवा ओपीडी पहुंच रहे हैं। कई मामलों में यह युवाओं को साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर का शिकार बना रहा है।
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क्या है साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर (What is Psychosomatic disorder)
वेब सीरीज देखने के आदी लोगों में साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर की समस्या होती है। इसमें दिमागी उलझन, तनाव, बोलने और अन्य व्यवहार में बदलाव जैसे लक्षण दिखते हैं। कई बार इसमें व्यक्ति किसी किरदार से प्रभावित होकर वैसा ही काम करने लगता है। साथ ही कुछ लोगों को ऐसा लगने लगता है कि उन्हें एसिडिटी, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, थकान व सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। मगर वास्तविकता में वे किसी शारीरिक रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं। ऐसी स्थिती को साइको सोमेटिक डिसऑर्डर कहा जाता है।
साइको सोमेटिक डिसऑर्डर के संकेत (Signs of Psychosomatic disorder)
सोशल सर्कल का कम होनाहर वक्त गुस्से में रहना
बीमारी के बारे में चर्चा करना
बार बार डॉक्टर से मिलना
कैसे करें डील (Tips to deal with Psychosomatic disorder)
थोड़ी बहुत शारीरिक क्रियाएं करेंपॉजीविट थिंकिंग के साथ दिन की शुरुआत करें
नींद पूरा करना है जरूरी
खाने में हेल्दी चीजें शामिल करें