केस-1
पर्स से फोन की आवाज
32 वर्षीय वर्किंग वुमन साक्षी वाजपेयी ने बताया कि वे काम के दौरान फोन के बारे में सोचती रहती हैं। सोशल इंवेट के दौरान भी बार-बार लगता कि पर्स में फोन बज रहा है। कई बार नींद में भी यह अहसास होता था कि फोन बज रहा है। इमोशनल डिस्टर्बेंस हो रहा है।केस-2
नोटिफिकेशन की आदत
19 वर्षीय भेल, भोपाल निवासी निकिता यादव ने बताया कि कोरोना के समय मोबाइल में वेब सीरीज देखने और वीडियो कॉल्स की आदत हुई। अब उन्हें अहसास होता था कि नोटिफिकेशन साउंड आया, लेकिन चैक करने पर कुछ होता नहीं।ऐसी चीज महसूस करना जो असल में है ही नहीं
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम से एंग्जायटी डिसऑर्डर बढ़ रहा है। इसे टैक्टाइल हेलुसिनेशन कहते हैं, यानी ऐसी चीज को महसूस करना, जो असल में होती ही नहीं है। इसे लर्ड बॉडिली हैबिट्स भी कहा जा रहा है।क्या है ये बीमारी
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम की अनुभूति गैजेट्स के ज्यादा प्रयोग से होता है। यह वैसा ही जैसे फैंटम लिंब सिंड्रोम में हाथ-पैर कट चुके व्यक्ति को लगता है कि खुजली हो रही है, जबकि वो अंग है ही नहीं। -डॉ. आशीष कुमार रस्तोगी
मोबाइल का यूज कर दें कम (Caution)
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम से बचना है तो मोबाइल का उपयोग कम करें। खेल-कूद, मेल-मिलाप और योग-व्यायाम आदि को जीवन में शामिल करें। -डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक ये भी पढ़ें: Bhopal Weather: 90 घंटे बाद फिर शुरू होगी तूफानी बारिश, बड़ा तालाब हो जाएगा ओवरफ्लो