इसे अतिबला (Horndeameaved Sida) या खिरैटी या गोक्षुरादि चूर्ण के नाम से भी जाना जाता है। इस चूर्ण के सेवन से शारीरिक कमज़ोरी जड़ से ठीक हो जाती है और दुबला पतला कमजोर व्यक्ति भी लंबे समय तक बलवान बन जाता है। आयुर्वेद में भी इसके चूर्ण को बड़ा महत्व दिया जाता है। बता दें कि, खिरैटी कई पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है, जो हमारे शरीर में होने वाली कई तरह की कमियों की पूर्ति करते हुए हमें तंदुरुस्त रखने में मदद करता है। आमतौर पर यह बीज मध्य प्रदेश के खेतों के आसपास लगा मिल जाता है। इसके अलावा ये बीज आसानी से किसी भी पंसारी की दुकान पर मिल जाता है। आइये जानते हैं खिरैटी से होने वाले फायदों और उन्हें इस्तेमाल करने के तरीके के बारे में…।
-शरीर में शक्ति स्फूर्ति बढ़ाए
शरीर में कम ताकत होने पर खिरैंटी के बीजों को पकाकर खाने से शरीर में ताकत बढ़ जाती है। या खिरैंटी की जड़ की छाल को पीसकर दूध में उबालें। इसमें घी मिलाकर पीने से शरीर में शक्ति का विकास होता है।
-बवासीर में लाभकारी
अतिबला के पत्तों को पानी में उबालकर उसे अच्छी तरह से मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में उचित मात्रा में ताड़ का गुड़ मिलाकर पीयें। इससे बवासीर में लाभ होता है।
-रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
अतिबला के बीज 4 से 8 ग्राम सुबह-शाम मिश्री मिले गर्म दूध के साथ खाने से कमज़ोरी को समाप्त करने में पूरा लाभ होता है।
-पेट की समस्या
अतिबला के पत्तों को देशी घी में मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पित्त के उत्पन्न दस्त की समस्या में तेजी से लाभ मिलता है।
-बार-बार पेशाब आना
खरैटी की जड़ की छाल का चूर्ण यदि चीनी के साथ सेवन करें तो पेशाब के बार-बार आने की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
चूर्ण बनाने की विधि
नागबला, अतिबला, कौंच के शुद्ध छिलका रहित बीज, शतावर, तालमखाना और गोखरू इन सब को बराबर वजन में लेकर कूट-पीस-छानकर महीन चूर्ण करके मिला लें और छन्नी से तीन-चार बार छान लें ताकि सब द्रव्य अच्छी तरह मिलकर एक जान हो जाएं। इसे एक-एक चम्मच सुबह-शाम या रात को सोते समय मिश्री मिले कुनकुने गर्म दूध के साथ पीना चाहिए।