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भोपाल

सेहत के लिए साइकिल का सहारा, दफ्तर जाने को बनाया व्यायाम

– श्रम मंत्रालय में कार्यरत विजय दिनानी 13 किलोमीटर साइकिल चला जाते हैं दफ्तर, गृह मंत्रालय में पदस्थ राजीव लोचन के लिए साइकिल ही सवारी, पर्यावरण की बेहतरी के साथ सेहत का संदेश

भोपालMay 26, 2019 / 08:00 am

शकील खान

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सेहत के लिए साइकिल का सहारा, दफ्तर जाने को बनाया व्यायाम

भोपाल। अपनी सेहत को बेहतर करने जहां कई लोग मोटी रकम खर्च कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर शहर में कुछ उदाहरण ऐसे सामने आए जिसमें लोगों ने दफ्तर या अपने संस्थान तक पहुंचने को व्यायाम का रूप दे डाला।

कार और बाइक होने के बाद ये साइकिल से कार्यालय आते जाते हैं। पर्यावरण की बेहतर के साथ ईधन की बजत और सेहत बनाने के इस तरीके के दूसरे लोग भी अपना रहे हैं। इस ट्रेंड से राजधानी की सड़कों पर बढ़ रहे बेहतहाशा वाहनों से भी कुछ राहत मिल सकेगी।

कार, बाइक होने के बाद भी हर रोज 26 किलोमीटर का सफर

लालघाटी क्षेत्र में रहने वाले विजय दिनानी श्रम मंत्रालय, प्रोविडेंट फण्ड डिपार्टमेंट, अरेरा हिल्स में कार्यरत हैं। घर से दफ्तर तक की दूरी करीब 13 किलोमीटर है। घर में कार और दो पहिया वाहन के बाद भी ये हर रोज साइकिल से कार्यालय आते जाते हैं। करीब 26 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। विजय बताते हैं कि साइकिल से दफ्तर आने पर पहले साथ में कार्यरत साथियों को आश्चर्य हुआ।

लेकिन जब इसके फायदे बताए तो अब वे भी इस तरीके को अपनाने की बात करते हैं। इन्होंने बताया कि इससे पहले मुम्बई में पोस्टिंग थी। वहां भी दफ्तर आने जाने में साइकिल का इस्तेमाल करते थे। सेहत और पर्यावरण के प्रति जागरुकता के चलते वहां और भी कई लोग हैं जो सारे संसाधन होने के बाद भी साइकिल का इस्तेमाल करते हैं।

 

कार्यालय के सफर को बनाया कसरत

राजीव लोचन दुबे मंत्रालय में कार्यरत हैं। ये अपने निवासी स्वामी विवेकानंद परिसर से दफ्तर तक साइकिल से आते जाते हैं। करीब डेढ़ साल से ये सिलसिला चल रहा है। इन्होंने बताया कि समय की कमी के कारण व्यायाम नहीं कर पाते। इस कारण दफ्तर आने जाने को ही व्यायाम में बदल दिया। रोजाना करीब 24 किलोमीटर साइकिल से आना जाना होता है।
साइकिल चलाने में पसीना बहुत आता है। इस कारण एक जोड़ी कपड़े बैग में साथ लेकर चलते हैं जिन्हें ऑफिस पहुंचकर बदल लेते हैं। साइकिल से आने जाने का सबसे बड़ा फायदा सेहत के लिए हुआ। वहीं दूसरी ओर वाहन के ईंधन पर जो खर्च होता था उसकी भी बजत हुई। इन्होंने बताया कार्यालय में कई लोगों साइकिल से आवाजाही शुरू करने की बात कह रहे हैं। सप्ताह में एक दिन से शुरुआत करेंगे।

पर्यावरण की बेहतर साथ ट्रैफिक के लिए भी फायदा

शहर में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सड़कों पर जाम के हालात बन रहे हैं। इससे निपटने लोकल ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बढ़ावा देने लो फ्लोर बसों का संचालन शुरू किया गया था। बावजूद इसके हालात नहीं सुधरे।
समाजसेवी उमाशंकर तिवारी के मुताबिक वे साइकिलिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। घर के छोटे मोटे काम से लेकर आसपास आवाजाही में वाहन की बजाय पैदल या साइकिल से जाए। ये संदेश दिया जा रहा है। इसका असर भी देखने को मिला है।

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