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भोपाल

हरतालिका तीज की व्रत कथा : पार्वती ने भगवान शिव को कठोर तप से प्रसन्न किया तब… पढ़े पूरी कथा

मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था। बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया।

भोपालSep 02, 2019 / 04:27 pm

KRISHNAKANT SHUKLA

हरतालिका तीज की व्रत कथा : पार्वती ने भगवान शिव को कठोर तप से प्रसन्न किया तब... पढ़े पूरी कथा

हरतालिका तीज की व्रत कथा : पार्वती ने भगवान शिव को कठोर तप से प्रसन्न किया तब… पढ़े पूरी कथा

Haritalika Teej ki Katha: पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्राप्ति के लिये सदियों से भ्रादपद की शुक्ल पक्ष तृतीया को हरितालिका तीज मनाया जा रहा है। राजधानी भोपाल में हरतालिका तीज पर नर्मदा मंदिर तुलसी नगर में सामूहिक उद्यापन का आयोजन किया गया। इसमें 80 से अधिक जोड़ों ने भाग लिया।

 

( Hatalika Teej ) हरतालिका तीज की व्रत कथा

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार शिव जी ने माता पार्वती को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था। मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था। बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया।


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12 सालों तक निराहार रह करके तप किया। एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं। भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी।


फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है। यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा। माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं।

 

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यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की। संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की। इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया।

 

उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया।

उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे। फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पंहुचे। इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया. तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए।

 

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तीजा का पर्व अत्यंत ही शुभ संयोग

पौराणिक कथाओं के अनुसार विवाहित महिलाओं द्वारा यह व्रत माता गौरी एवं भगवान भोले नाथ की पूजा आराधना के साथ रखा जाता है। तृतीया तिथि 1 सितम्बर दिन रविवार को दिन में 11:02 बजे से प्रारंभ होकर 2 सितम्बर दिन सोमवार को सुबह दिन में 9:02 बजे तक मानी गई है।

लेकिन तृतीया को सूर्य का उदय 2 सितंबर को हुआ है इसलिए यह व्रत दो सितंबर दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। सोमवार का दिन वैसे भी भगवान शिव की पूजा का होता है ऐसे में इस बार तीजा का पर्व अत्यंत ही शुभ संयोग में मानाया गया है।

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