रोचक फैक्टस…
– व्यंग्य लेखन को साहित्य में प्रतिष्ठा दिलाने में हरिशंकर परसाई का बहुमूल्य योगदान है। – माना जाता है कि व्यंग्य का जन्म अपने समय की विद्रूपताओं यानी बिगड़ा हुआ या जिसे एक्सप्लेन ही नहीं किया जा सके के अंदर से निकलने वाले असंतोष से होता है।
– व्यंग्य साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसमें जीवन की विसंगतियों, खोखलेपन और पाखंड को समाज के सामने प्रस्तुत कर दिया जाता है। – ऐसे में हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाएं आजाद भारत का सृजनात्मक इतिहास’ कही जा सकती हैं।
– हरि शंकर परसाई की रचनाओं में वर्तमान भारत का असली आईना देखा जा सकता है।
– हरिशंकर परसाई ने सामान्य हालात को अपनी वैचारिक समझ से मजबूत करके लोगों के सामने रखा।
– हरिशंकर परसाई के व्यंग्यों में नजर आने वाला सच साबित करता है कि परसाई ने आजाद भारत के सभी पहलुओं की बखूबी पड़ताल की है।
– परसाई की रचनाओं में उस पीडि़त भारत की छटपटाहट आसानी से महसूस की जा सकती है, जो शोषकों के तिलिस्म में कैद है।
– हरिशंकर परसाई व्यंग्य के माध्यम से सृजन और संहार दोनों एक साथ करते हैं।
– हरिशंकर परसाई की लेखनी में इतना जादू था कि जब वह शोषक वर्ग के खिलाफ लिखते थे तो उनके व्यंग्य में उस वर्ग के खिलाफ आक्रोश, घृणा पैदा हो जाती थी।
– वहीं यदि वे अभावग्रस्त व्यक्ति पर कुछ लिखते थे तो, आपके मन में दया और करुणा के भाव का बोध होता था।
– हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त 1924 को मध्य प्रदेश के इटारसी के पास जमाली में हुआ था।
– वहीं उनका निधन 22 अगस्त 1995 को हुआ था।
– हरिशंकर परसाई ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गांव में ही प्राप्त की।
– इटारसी के पास जमाली की गलियों में ही हरिशंकर परसाई ने अपना बचपन बिताया।