हर शनिवार को एक घंटे की क्लास होती है। खुश रहने और दुखी होने के कारण यहां बताए जाते हैं। इसके लिए आनंदम ने बाकायदा सिलेबस तैयार किया है। आनंदम से जुड़े एक्सपर्ट के मुताबिक इसमें तीन टूल्स हैं। इसमें उन कारणों को शामिल किया गया जो हमें खुश रहने में रूकावट बनते हैं।
cm rise और एक्सीलेंस में क्लास
वर्तमान में ढाई सौ से ज्यादा सीएम राइज स्कूल हैं तो वहीं 55 एक्सीलेंस स्कूल। इन स्कूलों में हैप्पी क्लास चल रही है। इसके लिए आनंद विभाग ने शिक्षकों को ट्रेनिंग दी थी। इसे लगातार अपडेट किया जा रहा है।
एक्सपर्ट के मुताबिक दुखी होने के कारण
हम तब दुखी होते हैं हमारे खुश रहने में कोई कारण रुकावट बनता है। इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। समानता, संस्कार और व्यवहार को आधार बनाया है।- पहला हिस्सा समानता। यानि हम जब दूसरे को खुद से ज्यादा खुश या संपन्न देखते हैं तो वह कहीं न कहीं हमारी खुशी में निरंतरता को कम करता है। समाधान- अपनी तुलना खुद से करें।
- दूसरा संस्कार है। बोलचाल से लेकर जातिगत कारण तक इसमें शामिल किए गए हैं।
समाधान- जैसा खुद चाहो वैसा सम्मान दूसरों को दो।
तीसरा व्यवहार है। दफ्तर, क्लास या घर में ऐेसे शब्दों का उपयोग जो हमें छोटा दिखाए।
समाधान- बर्ताव अच्छा रखो।
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खुश रहने के लिए वैल्यू एजुकेशन पर जोर है। एक घंटे में बच्चों को उन कारणों से वाकिफ कराते हैं जिनसे दुख बढ़ता है खुशी कम होती है। प्रदेश के सवा तीन सौ से ज्यादा स्कूलों में क्लास चल रही हैं।
सत्यप्रकाश आर्या, निदेशक, राज्य आनंदम संस्थान