हकीकत ये है कि, राजधानी में आज भी 155 मरीजों पर सिर्फ एक बिस्तर है और 526 मरीजों पर एक डॉक्टरऐसे हालात में भी राहत की बात ये है कि, हमीदिया और एम्स ने कोरोना से मुकाबले में अहम भूमिका निभाई है। दोनों अस्पतालों के बाहर मरीजों की लंबी लंबी कतारें जरूर लगीं, पर लोगों ने भी इन दोनो अस्पतालों पर भरोा करना नहीं छोड़ा। वजह थी, सस्ता और सही इलाज
अब कोरोना की तीसरी चेतावनी भी दी जा चुकी है। ऐसे में हमीदिया और एम्स इससे निपटने के लिये अभी से तैयारी में जुटे हुए हैं। साथ ही, ये दोनों ही अस्पताल भविष्य की चुनौतियों के लिये तैयार हो रहे हैं। हमीदिया में किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर सहित कई खास यूनिट शुरु होने वाली हैं। वहीं, एम्स में किडनी, लिवर और हार्ट ट्रांसप्लांट की तैयारी है। रोबोटिक सर्जरी के अलावा, डेडबॉडी एमआरआई स्कैन जैसी सुविधाएं भी शुरु होने जा रही हैं।
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सुविधाएं बढ़ीं, पर मानक स्तर से फिर भी पीछे हैं हम
23 लाख से ज्यादा आबादी, बदलती जीवन शैली और डॉक्टरों की कमी। ये त्रिकोण और इससे जुड़े प्रदूषण, पीने के साफ पानी का अभाव जैसे कारणों के चलते शहर में कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मरीजों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
-एम्स : वेदर डिसीज स्क्रीनिंग सेंटर
सामान्य बीमारियों के लिये अब सीधे वेदर डिसीज स्क्कीनिंग सेंटर शुरु होगा में अस्पताल अधीश्रक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव के अनुसार, इसे सेंटर में सिर्फ मौसमी वीमारियों का उपचार होगा। यानी अगर किसी मरीज को सर्दी, जुकाम या कोई वायरल बुखार है, तो वो एम्स जाने के बजाय सीधे वेदर डिसीज स्क्रीनिंग सेंटर जाएंगे। गंभीर होने पर उन्हें मुख्य अस्पताल में रेफर किया जाएगा। 80 फीसदी मरीज मौसमी बीमारियों के होते हैं। 15 करोड़ से तैयार होने वाले इस सेंटर में मरीज के परिजन भी रुक सकेंगे।
-जीएमसी : किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर
मध्य प्रदेश के पहले सरकारी किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर की बुनियाद हमीदिया में साल 2017 में रखी गई। इसका काम 2020 में शुरु होना था, लेकिन कोरोना के कारण अटक गया। हमीदिया अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु शर्मा बताते हैं कि, यहां लाइव किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा, ब्रैन डेड व्यक्ति से दान में मिली किडनी निकालने और ट्रांसप्लांट करने की सुविधा होगी। बस इंतजार है तो कोरोना संकट टलने का।
-काटजू : पहला फ्लेक्सिबल अस्पताल
शहर के बीचों बीच 100 बिस्तरों का मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल भी भर्ती लोगों के लिये उपलब्ध होगा। काटजू अस्पताल दिसंबर 2020 में शुरु होना था, लेकिन अब ये सितंबर तक पूरा हो पाएगा। मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर यहां कई सुविधाएं रहेंगी। 100 बिस्तर में मल्टी स्पेशलिटी वॉर्ड के साथ नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई, मदर बोर्ड व हाई डिपेंडेंसी यूनिट के साथ प्राइवेट पॉर्ड भी होंगे। ओटी भी बनाया जा रहा है। ये पहला ऐसा अस्पताल होगा, जो फ्लैक्सिबल होगा। यानी अस्पताल भले ही 100 बिस्तरों का मंजूर हुआ है, लेकिन यहां पर आसानी से 140 बिस्तर लगाए जा सकेंगे।
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