भाजपा से गुना प्रत्याशी बनाए गए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कांग्रेस ने इस बार राव यादवेंद्र सिंह यादव को मैदान में उतारा है। यह वही यादवेंद्र सिंह यादव हैं तो थोड़े दिन पहले तक भाजपा में थे और 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यादव बहुल क्षेत्र होने के कारण इस बार भी यहां यादव को मैदान में उतारा है। दिलचस्प बात यह है कि जब सिंधिया कांग्रेस में थे तब यादवेंद्र सिंह यादव और उनके पिता स्वर्गीय देशराज सिंह यादव भाजपा में थे। तब दो बार भाजपा ने देशराज सिंह को सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतारा था, लेकिन दोनों ही बार भाजपा के देशराज सिंह यादव चुनाव हार गए थे और कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया चुनाव जीत गए थे। हालांकि दिवंगत देशराज सिंह दो बार भाजपा के विधायक रह चुके हैं।
राव यादवेंद्र सिंह परिवार के 6 सदस्य फिलहाल राजनीति में हैं। राव देशराज सिंह यादव अशोक नगर जिले के मुंगावली के रहने वाले हैं और अशोकनगर-गुना क्षेत्र में इस परिवार का काफी प्रभाव माना जाता है। कांग्रेस उम्मीदवार राव यादवेंद्र सिंह बीजेपी के पूर्व कद्दावर नेता रहे स्व देशराज सिंह के बेटे हैं। यादवेंद्र वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं, उनकी पत्नी और एक भाई भी जिला पंचायत सदस्य हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राव यादवेंद्र सिंह ने भाई अजय यादव मां बाई साहब यादव के साथ बीजेपी छोड़ दी थी और कांग्रेस में चले गए थे। लेकिन एक माह बाद ही उनकी माता बाई साहब यादव और भाई अजय यादव दोबारा से बीजेपी में आ गए थे, लेकिन राव यादवेंद्र सिंह कांग्रेस से जुड़े रहे। इस सीट पर 7 मई को मतदान होगा।
यादवेंद्र सिंह यादव पिछड़ा वर्ग से आते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि इससे बेहतर कांग्रेस के सामने कोई और नाम नहीं था, जो सिंधिया को टक्कर दे सके।
लोगों की धड़कनें बढ़ाने वाली सीटों में गुना सीट भी है। क्योंकि इस सीट से एक बार फिर सिंधिया परिवार का ही सदस्य चुनाव मैदान में है। भाजपा के दिग्गज नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया परंपरागत गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव मैदान में है। ग्वालियर संभाग में आने के कारण यह सिंधिया राजघराने का वर्चस्व भी है। पिछला लोकसभा का चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया इसी सीट से हारे थे। तब वे कांग्रेस में थे और भाजपा के केपी यादव ने उन्हें हराया था। केपी यादव कांग्रेस में कभी सिंधिया के समर्थक थे, लेकिन वे भाजपा में आ गए थे। तब सिंधिया कांग्रेस से चुनाव लड़े थे और भाजपा से केपी यादव चुनाव लड़े थे। इस मुकाबले में केपी यादव जीत गए थे।