Constitution of India के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं और उत्पादों की बिक्री पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार Central Govt के पास पहले था । जिसके कारण India में अलग – अलग तरह के कर लागू थे, जिससे Bharat की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल हो गयी थी इसलिए उसमे सुधर किया गया है।
अब हिंदी में समझिये की जीएसटी का फुल फॉर्म (
वस्तु एवं सेवा कर ) और जीएसटी का फुल फॉर्म गुड्स एंड सर्विस टैक्स है। जानिए किन पर लागू होगा जीएसटी? – 2014 में पास संविधान के 122वें संशोधन के मुताबिक जीएसटी सभी तरह की सेवाओं और उत्पादों/वस्तुओं पर लागू होगा। सिर्फ अल्कोहल यानी शराब इस टैक्स से बाहर होगी।
ऐसे काम करेगा जीएसटी? : – जीएसटी में तीन अंग होंगे – राज्य जीएसटी, केंद्रीय जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी।
– राज्य जीएसटी राज्य सरकारें लागू करेंगी जबकि केंद्रीय और इंटीग्रेटेड जीएसटी केंद्र लागू करेगा।
इधर MP सरकार के खजाने की हालत बिगड़ी :-
मध्यप्रदेश के सरकारी खजाने की माली हालत किसी से छिपी नहीं है। वहीं जीएसटी(GST) के कारण और खराब हो गई बताई जा रही है। खराब आर्थिक सेहत(खजाने की हालत) पर MP सरकार ने एक बार फिर कर्ज लिया। जबकि कर्ज लेने के पहले प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर बताई गई। ऐसे में राज्य में कर्ज एक लाख करोड़ के पार जा पहुंचा है। खजाने की माली हालत सुधारने व राज्य के विकास के लिए दीपावली के पहले तक सरकार नौ हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है।
हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने दो हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार से लिया है(GST impact on Madhya Pradesh Government)। बताया गया कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा राजस्व मिलेगा। खजाने की आर्थिक सेहत भी अच्छी है। राज्य का बजट लाभ का है। सरकार ने यह कर्ज विकास कार्य के नाम पर लिया है। इसके पहले भी विकास कार्यों के लिए कर्ज लिया गया।
दीपावली के पहले तक सरकार नौ हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। दो हजार करोड़ का कर्ज लेने के बाद दिसम्बर तक पांच हजार करोड़ और कर्ज लेने की तैयारी है। राज्य सरकार को उम्मीद थी कि चालू वित्तीय वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक राजस्व मिलेगा। खजाना(GST Kya Hai GST impact on Madhya Pradesh Government) भरने की उम्मीद थी, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद सरकार की उम्मीदों पर पानी फिर गया। उम्मीद से कम राजस्व मिला। टैक्स कलेक्शन की बात करें तो दो महीनों में सिर्फ 5000 करोड़ का ही कलेक्शन हुआ है।
पिछले साल के मुकाबले अधिक नुकसान :
खजाने में इजाफे की उम्मीद लगाए बैठी प्रदेश सरकार की परेशानी यह है कि राजस्व वसूली कम हुई, यदि इसी रफ्तार से राजस्व में कमी आती रही तो वित्तीय वर्ष के अंत में यह आंकड़ा 3000 करोड़ के ऊपर भी जा सकता है। राजस्व में आ रही गिरावट की जानकारी से सरकार चिंतित तो है पर जताना नहीं चाहती।