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सीधी भर्ती ही बेहतर विकल्प
दरअसल, मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों कमी के कारण स्वास्थ व्यवस्थाएं लचर अवस्था में हैं। इनमें विशेषज्ञ डॉक्टरों समेत अन्य विभाग के डॉक्टरों के पद करीब 25 फीसदी खाली है। अभी पोस्ट ग्रेज्युएट मेडिकल ऑफिसर (पीजीएमओ) को पदोन्नत कर विशेषज्ञ बनाने का नियम है। फिलहाल, 1287 पीजीएमओ काम कर रहे हैं, जिन्हें पदोन्नत किया जाना है। विशेषज्ञों के 2738 पद खाली हैं। ऐसे में सभी पीजीएमओ को एक साथ पदोन्न्त कर दिया जाए तो भी विशेषज्ञ के पद भर पाना संभव नहीं है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार के पास सीधी भर्ती के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं बच रहा है। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा मध्य प्रदेश में विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए हर संभव कोशिश जारी है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के कितने पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे, इसकी तैयारी की जा रही है।
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इन समस्याओं का करना पड़ रहा सामना
जिस तरह दिन ब दिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) सिविल अस्पताल और जिला अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में बड़ी बीमारियों के इलाज की जिम्मेदारी विशेषज्ञ चिकित्सकों की होती है। लेकिन, लगभग सभी अस्पतालों के हालात ये हैं कि, सीएचसी में कहीं एक तो कहीं दो विशेषज्ञ ही हैं। प्रदेश कुल 334 सीएचसी हैं। इनमें से सिर्फ 10 सीएचसी ही ऐसी हैं, जहां सभी विषय के विशेषज्ञ मौजूद हैं। कई सीएचसी में तो एक या दो ही विशेषज्ञ हैं, इधर स्थिति ये है कि, यहां सर्जरी ही नहीं हो सकती। विशेषज्ञों की कमी के चलते सीजर डिलीवरी भी ज्यादातर सीएचसी और कई जिला अस्पतालों में हो पाना संभव नहीं है।