प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि देश और मध्यप्रदेश में डीएपी और यूरिया की जबर्दस्त कमी है। खाद के लिए प्रदशभर में किसान कई दिनों तक लंबी लाइनों में खड़े होने के लिए मजबूर हैं, पुलिस की लाठियां खा रहे हैं।
खाद संकट के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि रबी सीजन में केंद्र सरकार ने 8 लाख टन डीएपी देने पर सहमति जताई थी लेकिन 20 नवंबर तक महज 4.57 लाख टन ही उपलब्ध कराई। अब तक केवल 2.91 लाख टन डीएपी की ही बिक्री की गई है।
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इसी तरह यूरिया की भी किल्लत है। प्रदेश में 20 लाख टन यूरिया की जरूरत है लेकिन महज 12.70 लाख टन ही उपलब्ध है। इसमें से भी 20 नवंबर तक केवल 7.69 लाख टन यूरिया ही वितरित किया गया।
जीतू पटवारी ने केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों पर किसानों से विश्वासघात का आरोप लगाया। किसानों को न उपज की पर्याप्त कीमत दी जा रही है, न ही समय पर पर्याप्त खाद दे रहे हैं। खेती की लागत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि किसान अपनी फसल की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं।
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कृषि मंत्री शिवराजसिंह ने किसानों को धोखा दिया
जीतू पटवारी ने कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान पर सोयाबीन किसानों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्राइस सपोर्ट स्कीम पर समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर सोयाबीन खरीदने का भरोसा दिया था। हकीकत यह है कि केंद्र ने महज 13,68,045 टन सोयाबीन खरीदने की अनुमति ही दी गई है।
कृषि मंत्री शिवराजसिंह ने किसानों को धोखा दिया
जीतू पटवारी ने कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान पर सोयाबीन किसानों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्राइस सपोर्ट स्कीम पर समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर सोयाबीन खरीदने का भरोसा दिया था। हकीकत यह है कि केंद्र ने महज 13,68,045 टन सोयाबीन खरीदने की अनुमति ही दी गई है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र से 27.34 लाख टन सोयाबीन खरीदने का अनुरोध किया था। 2024-25 खरीफ सीजन के लिए 10 सितम्बर 2024 को किए गए इस आग्रह पर केंद्र ने महज 25 प्रतिशत खरीदी की ही अनुमति दी। इसमें से भी 21 नवंबर तक केवल 56768.85 टन सोयाबीन ही खरीदा गया है।
प्रदेश के सोयाबीन किसानों के साथ इसे केंद्र और राज्य सरकार का सौतेला व्यवहार बताते हुए जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश में करीब 52 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई। करीब 55 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ। किसानों को सोयाबीन का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।