लैंड डिजिटलाइजेशन के साथ इस व्यवस्था को जल्द ही लागू किया जाएगा। करीब 80 फीसदी लैंड रिकार्ड डिजिटलाइज हो चुका है। कोशिश है कि इस रिकार्ड में हर किसान का बैंक कर्ज और मुआवजा उसी समय दर्ज कर दिया जाए जब उसे मंजूरी मिले। इसके लिए कृषि विभागकर्ज और मुआवजे का डाटा राजस्व विभाग को देगा। राजस्व विभाग उसे डिजिटल रिकॉर्ड पर दर्ज करेगा।
इसमें मुआवजे का डाटा तो राहत आयुक्त कार्यालय से उपलब्ध हो जाएगा। कर्ज का डाटा बैंक से कर्ज मंजूरी के साथ मिलने की व्यवस्था की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार किसान का कर्ज, मुआवजा लैंड रिकॉर्ड में दर्ज होने से किसानों को खासी राहत मिलेगी. दरअसल फर्जीवाड़ा रोकने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं.
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यह होगा फायदा
कई जगह ऐसा हुआ है कि एक ही जमीन पर किसानों ने दो या उससे ज्यादा कर्ज ले लिए। ऐसी गड़बड़ी भी सामने आई कि मुआवजे में दो योजनाओं के तहत राशि ली गई। लैंड रिकॉर्ड पर कर्ज और मुआवजा दर्ज होने के बाद गड़बडिय़ों पर लगाम लग सकेगी। हर कर्ज और मुआवजे के समय तुरंत रिकॉर्ड देख चिह्नित किया जा सकेगा कि किसान ने कर्ज या मुआवजा लिया है या नहीं।