समाज में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच विकसित कर उनकी स्थिति में बदलाव लाने के लिए सन 2007 में प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की गई थी। लड़कियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस योजना के अंतर्गत उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने पर फोकस किया गया। योजना में छात्रवृत्ति के साथ ही 21 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर बालिका 1 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान है।
यह भी पढ़ें : एमपी को बड़ी सौगात, एक और वंदेभारत मिली, दो राज्यों को जोड़ेगी 8 कोच की प्रीमियम ट्रेन मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत सन 2007 में बालिकाओं का पंजीकरण प्रारंभ हुआ था। तब 40 हज़ार 854 बालिकाओं का रजिस्ट्रेशन किया गया था। सन 2027-28 में 21 साल की आयु पूर्ण करनेवाली लाड़लियों की छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि के लिए 904.49 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इसी के साथ हर लाड़ली लक्ष्मी को 1 लाख रुपए देने के लिए 408.54 करोड़ रुपए की दरकार होगी। इस प्रकार सन 2027—28 में लाड़ली लक्ष्मी योजना में कुल 1313.03 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है। राज्य सरकार इस भारी भरकम राशि के लिए व्यवस्था बनाने में लगी है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना में सालाना औसतन 1000 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना पर कुल 935.8 करोड़ का खर्च हुआ। मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना में इस साल अब तक 48.88 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति दी गई है।
सन 2024-25 में कुल 1 लाख 21 हज़ार 425 बालिकाओं का लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीयन हुआ है। योजना में अब तक करीब 48 लाख 86 हज़ार 832 बालिकाओं का पंजीयन किया जा चुका है। वर्तमान प्रावधान के अनुसार सन 2027-28 में 21 वर्ष पूर्ण कर रही बालिकाओं के लिए करीब 1313 करोड़ रुपयों की जरूरत होगी जोकि बड़ी राशि है। राज्य सरकार को भी इसका अंदाजा है। यही कारण है कि करीब तीन साल बाद की स्थिति को भांपते हुए लाड़ली लक्ष्मी योजना की फंडिंग की कवायद की जाने लगी है।