अब उस लिफाफा सिस्टम को बंद कर दिया गया है, जिसमें रसूखदार, नेता और बड़े ठेकेदार पूल बनाकर काम करते थे। इससे खदानों की बोली ऊंची नहीं लग पाती थी। इतना ही नहीं, ये अपने रसूख के दम पर दूसरे ठेकेदारों को बोली ही नहीं लगाने देते थे। इससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होता था। अब यह व्यवस्था भी की जा रही है कि जिसे रेत का ठेका दिया जाएगा, उसे ही चोरी रोकने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
होशंगाबाद जिले में 20 जुलाई 2019 को नायब तहसीलदार, एक आरआइ और तीन पटवारी की टीम पर हमला किया गया था। सिवनी मालवा के ग्राम बाबरी और डिमावर में नर्मदा नदी से अवैध उत्खनन कर अवैध स्टॉक करने वालों ने राजस्व अमले पर लाठियों व पत्थरों से हमला किया।
बड़ी कार्रवाई की बात करें तो कमलनाथ सरकार के समय में बालाघाट, कटनी और नरसिंहपुर क्षेत्र में अब तक करोड़ों रुपए का जुर्माना वसूला जा चुका है। 15 जून को ग्राम घुघरी में मेसर्स फेयर एंड ब्लैक पर अवैध खनन करने पर 61.37 करोड़ का जुर्माना किया गया था। बड़वारा से कांग्रेस विधायक विजय राघवेंद्र सिंह के साले सत्येंद्र सिंह उर्फ सचिन पर रेत माफिया ने हमला करने की कोशिश की थी।
नरसिंहपुर के गोटेगांव में नर्मदा के साकल, बुधगांव जमुनिया, बेलखेड़ी जालौन घाट पर अवैध उत्खनन हो रहा है। गाडरवारा में ढिगसरा, चीचली, संसारखेड़ा में अवैध खनन चल रहा है। करेली की रेवा नगर खदान में बड़े पैमाने पर रेत का उत्खनन हो रहा है। प्रशासन ने रेत के अवैध परिवहन में 16 ट्रक जब्त कर राजसात किए गए थे। घूरपुर ग्राम पंचायत की रेत खदान को लेकर बड़ा विवाद हुआ था, जिसमें आधी रात को गोली चली थी।
पिछले दिनों नई रेत नीति लागू करने के लिए हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रेत चोरी रोकने की सख्त हिदायत दी थी। कमलनाथ ने कहा था कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता इस धंधे में उतर आए हैं। ऐसे नेता न पार्टी के होते हैं और न जनता से इनको कोई सरोकार होता है। इनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बैठक में एक वरिष्ठ अफसर ने कहा था कि जिन बाहुबली विधायकों को ठेके नहीं मिलते, वे अवैध उत्खनन करते हैं। सरपंच और खनिज अधिकारी भी इनसे मिल जाते हैं। अफसर की बात पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसे रेत का ठेका दिया जा रहा है, उसे ही चोरी रोकने की जिम्मेदारी दी जाए। इसमें स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए, जिससे वे बेहतर तरीके से अपनी खदानों से रेत चोरी रोक सकेंगे। बाहरी ठेकेदार पर स्थानीय रसूखदार दबाव बनाकर रेत चोरी कर रहे हैं, उस पर अंकुश लगेगा।
दरअसल, खनिज मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में यह सामने आया है कि मध्यप्रदेश अवैध खनन के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है। प्रदेश में पिछले पांच साल में अवैध खनन और परिवहन के 74415 मामले दर्ज किए गए हैं। इस दौरान अवैध खनन के प्रकरणों में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है। मध्यप्रदेश में इस साल 2018-19 में 16405 मामले सामने आए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी प्रदेश सरकार को नोटिस भेज चुका है। वहीं, कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया है। क्योंकि, पिछले पांच सालों में प्रदेश में भाजपा की सरकार थी।
– अवैध खनन के दर्ज प्रकरण साल दर साल
2013-14 में 6725 प्रकरण
2014-15 में 8173 प्रकरण
2015-16 में 13627 प्रकरण
2016-17 में 13880 प्रकरण
2017-18 में 15205 प्रकरण
2018- 19 में 16405 प्रकरण
पिछली सरकार में अवैध खनन के मामलों कार्रवाई बहुत धीमी गति से हुई है। इनमें 52803 कोर्ट केस फाइल हुए हैं। इतने बड़े पैमाने पर प्रकरण दर्ज होने के बाद भी महज 3005 वाहन जब्त किए गए। जबकि 152108 रुपए का जुर्माना वसूला गया। महज 542 एफआइआर दर्ज की गई। यह तथ्य मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पिछली भाजपा सरकार के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया है। इसमें कहा कि कैग ने 2004-09 के बीच यह पाया कि खनिज विभाग में 1509 करोड़ की रॉयल्टी का घोटाला हुआ है। कैग ने कहा कि 2012-2017 के बीच रेत खनन के 2272 प्रकरणों में 605 करोड़ का घोटाला हुआ। नसरुल्लागंज में अवैध रेत उत्खनन का मामला उठाने पर तत्कालीन एसडीएम का तबादला कर दिया गया। 2013 में तत्कालीन खनिज मंत्री ने 136 खदानें सिर्फ सात दिन में ही बांट दीं। उस समय आई रिपोर्ट में प्रदेश की तुलना बेल्लारी से की गई थी। गौरतलब है कि नसरुल्लागंज पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिला सीहोर में आता है।