उज्जैन में काम शुरू
भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से न्यू मार्केट तक और बड़ा तालाब पर श्यामला हिल्स से खानूगांव वीआइपी रोड समेत कुछ अन्य जगहों पर स्काय बस और स्काय कार चलाए जाने की योजना है। इस नए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जमीनी ट्रैफिक और बाधाओं से अलग आसमान में ट्रैफिक चलेगा। ये रोप वे की तरह ही रहेगा। उज्जैन में सीएम डॉ. मोहन यादव इस प्रोजेक्ट सबसे पहले शुरू करना चाहते हैं। वहां महाकाल मंदिर तक पहुंचने के लिए इसके लिए एजेंसी भी तय हो गई है। भोपाल में 2025 की पहली तिमाही में इस पर जमीनी काम नजर आ सकता है।
मेट्रो स्टेशन से लिंक करेंगे
योजना है कि स्काय कार को मेट्रो स्टेशन से शहर के बाजार व कोचिंग हब, व्यवसायिक क्षेत्र को जोड़ देंगे। जहां मेट्रो की लाइन नहीं है वहां मेट्रो स्टेशन पर उतरने के बाद स्काय बस से आगे का सफर हो सकेगा। ये शहरवासियों के लिए रोमांच का सफर भी होगा। बड़ा तालाब को ऊंचाई से हवाई जहाज में बैठकर देखने की तरह महसूस किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट में प्रति किमी करीब 100 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है।
कैसे होगा काम
स्काय बस के सिर्फ स्टेशन के लिए जमीन अधिग्रहण करना पड़ता है। इसका रूट सडक़ों के बीच डिवाइडर पर पिलर बनाकर तैयार हो सकता है। स्काई बस में ट्रैक (पटरियां) पिलर पर बनाए जाते हैं। इसमें तीन बोगी जुड़ सकती हैं। बोगी के ऊपर पहिए होते हैं, जो हुक के जरिए पटरियों पर रखे जाते हैं। स्काय बस 100 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकती है। इसका मेंटेनेंस खर्च भी कम है। स्काय बस की एक बोगी में 300 लोग बैठ सकते हैं। भारत में स्काई बस के जनक कोंकण रेलवे के निदेशक रहे बी. राजाराम हैं।
दो साल में इन शहरों में भी योजना
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय वाराणसी, पुणे, हैदराबाद, गुरुग्राम और गोवा में अगले दो साल में स्काय बस चलाने की तैयारी कर रहा है। ट्रायल रन साल के अंत तक गोवा के मडगांव में हो सकता है। शासन के निर्देशानुसार काम किया जाएगा। स्काय वे समेत शहर के ब्रिज, बायपास के लिए सभी निर्माण एजेंसी मिलकर काम करेंगी। संभावनाओं की तलाश के बाद आगे की स्थिति बताई जा सकती है। -अविनाश लवानिया, एमडी, एमपीआरडीसी