दरअसल, यह निर्णय केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा लिया गया है। इस निर्णय में गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (minimum export price) भी निर्धारित किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने पारबाइल्ड और ब्राउन चावल पर निर्यात शुल्क को 20 से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
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इन जिलों के किसानों की बढ़ेगी आय
केंद्र सरकार की फैसले से किसानों को अंतराष्ट्रीय बाजार में अधिक लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। इस निर्णय से न केवल राज्य के चावल उत्पादकों की आय में वृद्धि होगी बल्कि जनजातीय क्षेत्रों के उत्पादों को भी वैश्विक पहचान मिलेगी। मध्य प्रदेश के प्रमुख चावल उत्पादन क्षेत्रों में जबलपुर, मंडला, बालाघाट और सिवनी शामिल हैं जो अपनी उच्च गुणवत्ता वाले जैविक और सुगंधित चावल के लिए जाने जाते है। मंडला और डिंडोरी के जनजातीय क्षेत्रों का सुगंधित चावल और बालाघाट के चिन्नौर चावल को जीआई टैग प्राप्त है। यह भी पढ़े – MP को मिले नए सीएस, दिल्ली से आते ही आधे घंटे में शुरू कर दिया काम, अधिकारियों को दिए आदेश
कौनसे देश खरीदते है भारत का चावल
मध्यप्रदेश से चावल के प्रमुख निर्यात बाजारों में चीन, अमेरिका, यूएई और यूरोप के कई देश शामिल हैं। बता दें कि, पिछले 2015-2024 के बीच में मध्य प्रदेश से 12,706 करोड़ रुपये के चावल का देश और विदेश निर्यात हुआ है। अगर बात चालू वर्ष 2024 की करें तो इसमें 3,634 करोड़ रुपये के चावल का निर्यात किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक रहा है। यह भी पढ़े – अब सुसाइड केस रोकेगी पुलिस, गूगल, डॉक्टर और काउंसलर का होगा इसमें अहम रोल