प्रदेश के सागर, पन्ना और भोपाल जिले में अब किसान समूह ही समर्थन मूल्य पर किसानों का गेहूं खरीदेंगे। सरकार इसके बदले में किसान समूहों को बाकायदा कमीशन देगी। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह कवायद फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) के तहत होगी। इस काम में महिला स्व सहायता समूहों की भागीदारी दो साल पहले की जा चुकी है।
दरअसल, तीन जिलों से कई किसान समूहों ने खाद्य विभाग को अनाज खरीदी के संबंध में प्रस्ताव दिए हैं। अब जिलों में मैदानी अधिकारियों के जरिए समितियों का सत्यापन कराया जाएगा और इसके बाद इन्हें खरीदी की अनुमति दी जाएगी। इस सत्यापन में देखा जाएगा कि इनके यहां जिलों में गोदामों और अनाज को पानी से बचाने व सुरक्षा की क्या व्यवस्था है। यदि जांच में ये खरे उतरते हैं तो खरीदी की अनुमति दे दी जाएगी।
किसान समूहों को खरीदी के सिस्टम के माध्यम से काम करना होगा।
इन समितियों को खरीदी के साथ अनाज की ग्रेडिंग भी करनी होगी।
बड़ा फायदा: किसानों को मिलेगा रोजगार
अनाज खरीदी के काम से किसानों को उनके क्षेत्र में रोजगार मिलेगा। रबी और खरीफ सीजन में पांच से सात माह तक के लिए किसानों को रोजगार मिलेगा। सरकार इन्हें अनाज खरीदी के बदले में लाखों रुपए का कमीशन देगी। अनाज खरीदी का हिसाब-किताब समितियों को हर दिन सरकार को देना होगा। अनाज में हेरा-फेरी और गड़बड़ी होने पर संबंधित समितियों से राशि वसूल की जाएगी।
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समितियों से हटेगा खरीदी का काम
सहकारी समितियों से धीरे-धीरे अनाज खरीदी का काम हटेगा। यह काम महिला स्व सहायता समूह और किसान समूहों को दिया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा समूहों को अनाज खरीदी से जोडऩे के लिए नीति तैयार की जा रही है। पीडीएस में केन्द्रों तक राशन पहुंचाने के संबंध में युवाओं को वाहन खरीदी के लिए अनुदान देने का काम पहले से शुरू कर दिया गया है।