आरक्षण भी नाम मात्र
लखन लाल नरवरिया दृष्टिबाधित है। ब्रेल लिपि से ये ग्रेजुएशन कर चुके हैं। लेकिन नौकरी नहीं है। अब ओवरएज हो चुके हैं। यानि पढ़ाई लिखाई कोई काम नहीं आई, रोजगार की जरूरत है। पप्पू निशात पूरी तरह से नहीं देख पाते है। ब्रेल लिपि से कॉलेज स्तर पर शिक्षा पा चुके हैं। रोजगार के लिए प्राइवेट काम के भरोसे हैं। संस्थाओं में जो आरक्षण दिया गया वह भी नाम मात्र है।
ब्रेल लिपि से दृष्टिबाधितों को पढ़ाई में मदद मिली है। रोशनी न होने के बाद भी कई लोग साक्षर बन चुके हैं, लेकिन शासन स्तर पर सुविधाओं की कमी है। समाज को भी जागरूक होने की जरूरत है।
डॉ. हरगोविंद यादव, अध्यक्ष कल्याण धारा जन सेवा समिति
डॉ. हरगोविंद यादव, अध्यक्ष कल्याण धारा जन सेवा समिति
राजधानी सहित प्रदेश में कई दृष्टिबाधित पढे़ लिखे है लेकिन काम नहीं। संस्थानों में दिव्यांगों को जॉब के लिए आरक्षण हैं वह काफी नहीं। कई जगह यह दिखावा है। नियमों के तहत लोगों को नौकरी दी इसकी जांच कराने की जरूरत है।
अंकित शुक्ला, डिसेबल ट्रस्ट
अंकित शुक्ला, डिसेबल ट्रस्ट