भोपाल

हाथों से ट्राई साइकिल धकेलते हुए 3000 किमी का सफर

न उनका शरीर साथ दे रहा और न ही उनके पास खूब दौलत है लेकिन एक चीज भरपूर है- हौसला। अपने मजबूत हौसलों की दम पर जबलपुर के 40 साल के गुलाम हुसैन ट्राई साइकिल से पूरे देश को नाप रहे हैं। वे अब अजमेर शरीफ के सफर पर निकले हैं।

भोपालDec 12, 2023 / 06:47 pm

deepak deewan

हौसलों की दम पर जबलपुर के 40 साल के गुलाम हुसैन ट्राई साइकिल से पूरे देश को नाप रहे

न उनका शरीर साथ दे रहा और न ही उनके पास खूब दौलत है लेकिन एक चीज भरपूर है- हौसला। अपने मजबूत हौसलों की दम पर जबलपुर के 40 साल के गुलाम हुसैन ट्राई साइकिल से पूरे देश को नाप रहे हैं। वे अब अजमेर शरीफ के सफर पर निकले हैं।

गुलाम हुसैन के पैर काम नहीं करते पर वे जरा भी निराश नहीं हैं। यह दिव्यांग अपने हाथों से ट्राई साइकिल धकेलता हुए हजारों किमी का सफर तय कर चुका है। कई दिक्कतें सामने आईं पर पैरों से दिव्यांग गुलाम के इरादे कमजोर नहीं पड़े।

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उन्होंने 3000 किमी की यात्रा का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए वे रोज 50 किमी से ज्यादा ट्राई साइकिल चलाते हैं। वे अजमेर शरीफ जा रहे हैं और उनका यह सफर करीब 3 महीने में पूरा होगा। इस दौरान वे एक दर्जन से ज्यादा बड़ी दरगाहों पर भी जाएंगे।

वे पहले भी ट्राई साइकिल से अजमेर शरीफ की यात्रा कर चुके हैं। गुलाम बताते हैं कि वे 13 साल से ट्राई साइकिल से अजमेर जा रहे हैं। वे पहली बार महज डेढ़ महीने में अजमेर शरीफ पहुंच गए थे। वे ट्राई साइकिल से मुंबई और नागपुर भी जा चुके हैं।

जबलपुर के गोहलपुर इलाके के रद्दी चौक में रहनेवाले गुलाम हुसैन के पैर बचपन से ही खराब हैं। परिवारवालों के लिए बोझ बनने की बजाए वे घर से निकल पड़े और धार्मिक यात्राएं करने लगे। गुलाम बताते हैं कि एक बार उनकी तबियत ऐसी बिगड़ी कि कहीं आराम नहीं मिला।

तब पिता उन्हें अजमेर शरीफ लेकर पहुंचे जिसके बाद गुलाम की तबियत ठीक हो गई थी। इसी के बाद से वे हर साल अजमेर आने लगे। उनका कहना है कि जब तक जिंदा हूं तब तक यहां आता रहूंगा।

 

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