इस आयोजन के लिए गायत्री परिवार की ओर से कई सप्ताह पहले से तैयारियां की जा रही थी। किट में हवन सामग्री, समिधा लकड़ी, पूजा सुपारी, कलावा, गायत्री चालीसा, उद्देश्य पत्र, संकल्प पत्र, धन्यवाद पत्र, गुरुदेव का साहित्य सहित लगभग 12 सामग्रियां दी गई है।
यज्ञों की संख्या की जानकारी के लिए यज्ञ के बाद यजमान के मोबाइल नंबर से 07949130484 पर एक बार मिस कॉल करने की अपील की गई जिससे विश्व भर में हुए यज्ञों की संख्या पता की जा सकेगी।
हवन और यज्ञ का महत्व
हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार पूजा के बाद हवन और यज्ञ करने को सबसे अच्छा माना गया है। क्योंकि हवन में जलने वाली औषधि से वायु की शुद्धता होती है। वैज्ञानिकता के आधार पर भी पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए हवन सही माध्यम है। यज्ञ को अग्निहोत्र कहते हैं। अग्नि ही यज्ञ का प्रधान देवता होते है। हवन में डाली गयी सामग्री प्रसाद सीधे हमारे आराध्य देवी देवताओं तक पवित्र अग्नि के माध्यम से जाता है। हवन का एक सबसे अच्छा लाभ यह है की इसके धुएं से वातावरण शुद्ध होता है। कुण्ड में अग्नि के माध्यम से भगवान के निकट हवि पहुँचाने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है।
हवन से होने वाले लाभ
पूजा विधियों में पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन विधि को मुख्य माना जाता है। वेदों के अनुसार देवता को प्रसन्न करने के लिए हवन सबसे उत्तम पूजा विधि मानी गयी है। स्वास्थ्य के नजरिये से यज्ञ की पवित्र अग्नि के धुएं से वातावरण के कीटाणु और हानिकारक जीव नष्ट होते है जिससे शुद्धिकरण होता है। हवन में हव्य जैसे फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि मिलकर वायुमण्डल को स्वास्थ्यकर बनाते है।