पांच दिन बाद डॉक्टरों ने उसे भोपाल रेफर कर दिया। आराम मिला तो परिजन घर ले आए, लेकिन शनिवार को नवजात के पैर का पंजा ही अलग हो गया। पिता झोले में पंजा रखकर जिला अस्पताल पहुंचे और सिविल सर्जन से इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। डॉक्टरों ने बच्चों में गैंगरीन फैलने की बात कही है।
इधर पिता गोरेललाल ने डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पिता गोरेललाल का कहना है कि एसएनसीयू में बच्चों की पहचान के लिए पैर में टैग लगाया था। इसी से ऐसा हुआ है।