भोपाल। क्या आपको पता है कि गणेश चतुर्थी का पर्व क्यों मनाया जाता है? दरअसल इस दिन भगवान गणेश का जन्म दिन होता है। इसलिए इसे गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में आता है। गणपति सिर्फ देवता नहीं, बल्कि सर्वोच्च पद हैं। वे सबसे बड़े शिक्षक हैं। उनका जीवन चरित्र हमें बहुत कुछ सिखाता है। : MUST READ: MP: 16 आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर के पीछे की इनसाइड स्टोरी ये हैं गणेश पूजा के विशेष मुहूर्त स्थापना मुहूर्त अमृत : शाम 4.30 से 6.00 बजे शुभ: सुबह 9.00 से 10.30 बजे तक चंचल: दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, शाम 6.00 से 7.30 बजे तक लाभ: दोपहर 3.00 से 4.30 बजे तक अभिजीत: सुबह 11.30 से दोप. 12.50 बजे तक विशेष: तुला के चंद्रमा में भद्रा पाताल वासिनी होती है, इसलिए यह शुभ है। दिनभर शुभ मुहूतज़् में स्थापना हो सकेगी। ALSO READ: एक आदेश के कारण 24 घंटे में हो गया इस अफसर का ट्रांसफर चांद के दर्शन आज न करें धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है। चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए… सिंह: प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक:॥ ALSO READ: इस एक पेन ड्राइव में है पूरा व्यापमं SCAM, छह हफ्ते में सामने होगा सच इसलिए 10 दिन का होता है ये उत्सव गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है।