भोपाल। पुरानी जींस और गिटार…कॉलेज लेक्चर्स और मेरे यार…। गीत के बोल थोड़े अलग हैं, लेकिन दोस्ती की यादों के जश्न के लिए ये बिल्कुल सटीक हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के ऐसे ही यारों का जश्न-ए-कोहिनूर श्ािनवार को शुरू हुआ, जो रविवार तक चलेगा। कॉलेज के स्थापना दिवस पर डायमंड जुबली सेलिब्रेशन हुआ। इसमें कॉलेज के स्थापना वर्ष से लेकर वर्तमान बैच के स्टूडेंट्स ने भागीदारी की। कार्यक्रम में देश-विदेश से आए करीब 1500 एक्स जीएमसी स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया। समारोह का उद्धाटन केबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। साथ ही वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार व विधानसभा स्पीकर डॉ. सीताशरण शर्मा भी मौजूद रहे। 25 साल में केवल तीन मुलाकातें कॉलेज के दिन आज भी जहेन में ताजा हैं। उन्हीं दिनों को याद करने के लिए बैच 1969 के डॉक्टर्स केरवा पहुंच गए। वहां पिकनिक पर गए दोस्तों को कॉलेज के दिनों में पेड़ के नीचे बैठकर पी चाय याद आ गई। मुंबई के डॉ. आर के जैन ने बताया कि कॉलेज टाइम में हम यूं ही पेड़ों के नीचे खड़े होकर चाय और समोसों खाते थे। हम जहां जुटते थे वहीं, पिकनिक हो जाती। 25 साल में गु्रप मेंबर्स सिर्फ तीन बार मिले। शनिवार खास रहा। बाकी मेंबर्स को अमेरिका से आए दोस्त डॉ. एस के अरोड़ा, डॉ. के एस बिलिंग जो मिल गए। चाय की चुस्की और सॉन्ग्स 1979 बैच से सीहोर के डॉ. आनंद शर्मा के गु्रप में 30-35 डॉक्टर्स हैं। डॉ. आनंद अपने पुराने दिनों की यादें ताजा करने के लिए उसी कैंटिन की ओर जाना चाहते हैं जहां उन्होंने अपने दोस्तों के साथ चाय की चुस्कियां लेते हुए और टेबल बजाते हुए कई बॉलीवुड सॉन्ग्स को आवाज दी थी। पहले लव मैरिज, अब दंगल मैरिज यू.एस. से आए डॉ. बी.पी. सिंघल और बीना सिंघल का गु्रप मस्ती के मूड में नजर आया। 1967 का यह बैच 2012 के बाद मिला। रेडियोलॉजिस्ट बीना सिंघल आई स्पेशलिस्ट डॉ. सिंघल की जूनियर थीं। पहले लव हुआ, फिर मैरिज। मस्ती के मूड में आकर डॉ. सिंघल कहते हैं शादी के लंबे समय के बाद लव हटकर दंगल लग गया। ऐसा कहकर वे ठहाका लगाते हैं। पुराने दिनों को याद करते हुए इंदौर के डॉ. यशवंत मारू, डॉ बी.के. जैन और अन्य मित्र डॉ. सिंघल को अपनी बैच का डॉन भी बुलाते हैं। लेक्चर्स बंक करके पिकनिक और डांस पार्टी करते थे उसी को याद करते हुए सभी फे्रंड्स ने एक गेट-टूगेदर भी किया। सेंटर फॉर हैल्थ रिसर्च की स्थापना चिकित्सा क्षेत्र में अपने अभुतपूर्व योगदान के कारण मंच पर सम्मानित डॉ. विजय महादिक भी 1967 बैच के ही स्टूडेंट हैं। मध्यप्रदेश का पहला प्राइवेट मेडिकल कॉलेज शुरू करने वाले पीडीअट्रिशन डॉ. महादिक उज्जैन में चैरिटेबल ट्रस्ट चलाने के साथ ही रूरल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 60 गांवो में व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं। अपने कार्यों का जिक्र करते हुए डॉ. महादिक बताते हैं उज्जैन में एक इंटरनेशनल सेंटर फॉर हैल्थ रिसर्च की स्थापना की हैं। ट्रक पर लटककर छोड़ा था भोपाल बालाघाट से आए डॉ. निलय जैन की खुशी आज थमने का नाम नहीं ले रही थी। दुबई से आए दोस्त डॉ. उमेश रस्तोगी और भिलाई के डॉ. दिलीप रत्नानी से दस साल के बाद मिलना ही उन्हें जीवन की असली खुशी लग रही थी। वे बताते हैं आज अपने दोस्तों से मिलकर ऐसा लग रहा है जैसे बिछड़े भाई मिल गए हो। आज हम सभी उस दिन को याद कर रहे थे जब गैस त्रासदी के दौरान हमें अपनी जान बचाने के लिए ट्रक में लटककर भोपाल से इंदौर भागना पड़ा था। आज भी वो यादें रूह में समाई हुई हैं।