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Happy Birth Day : एक दिन में कितना खाते थे गामा पहलवान? एक क्लिक में जानें The Great Gama के बारे में रोचक फैक्ट

Gama Pehalwan History in Hindi: मध्य प्रदेश की पावन धरती पर 22 मई 1878 को जन्मा था गुलाम मोहम्मद… आज 146वें जन्बमदिल पर पढें बही रोचक है एक बार कम वजन के कारण रिजेक्शन पर दुनिया भर के पहलवानों को चुनौती देने वाले और कभी ना हारने वाले गुलाम मोहम्मद के गामा पहलवान बनने की कहानी…

भोपालMay 23, 2024 / 09:40 am

Sanjana Kumar

एक था गामा पहलवान, जो 50 साल के कुश्ती करियर में कभी नहीं हारा…The Great Gama.

Gama Pehalwan History Facts In Hindi: द ग्रेट गामा पहलवान, कुश्ती का ऐसा महान खिलाड़ी, जो कभी किसी से नहीं हारा। लोग आज भी गामा पहलवान का नाम और उनके किस्से सुनकर हैरान रह जाते हैं। उनके मन में एक छवि सी बनने लगती है कि इतना ताकतवर कोई कैसे हो सकता है बड़े से बड़ा पहलवान उनके आगे टिक नहीं पाया। लोग आज भी कई बार सवाल पूछते हैं कि वो क्या बहुत लंबे-चौड़े थे या फिर आखिर वो ऐसा क्या खाते थे जिसकी वजह से वो कभी नहीं हारे। या फिर आखिर किस मिट्टी में जन्मे थे गामा पहलवान…क्या आपके मन में भी आता है ये आखिरी सवाल, अगर हां तो आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की पावन धरती पर 22 मई 1878 को जन्मा था गुलाम मोहम्मद…बड़ी रोचक है गुलाम मोहम्मद के गामा पहलवान बनने की कहानी…

आज भी नहीं कोई सानी

कुश्ती के इतिहास की बात की जाए तो गामा पहलवान का नाम सबसे पहले आता है। ये ऐसा पहला और आखिरी नाम है जिसके साथ जुड़ा है ‘वो जो कभी नहीं हारा।’ 22 मई 1878 को गामा पहलवान का जन्म मध्य प्रदेश के दतिया जिले में हुआ था। कहा जाता है कि दतिया के तत्कालीन राजा भवानी सिंह ने गामा को कुश्ती के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। राजा उनकी पहलवानी की सुविधाओं से लेकर उनके खानपान तक हर चीज का खास खयाल रखते थे।

इस अखाड़े में सीखते थे दांव-पेंच


बताया जाता है कि गामा पहलवान का अखाड़ा वीर सिंह पैलेस में आज भी है। दरअसल, गामा पहलवान का ननिहाल भी दतिया में ही था। दतिया स्थित इसी अखाड़े में गामा पहलवान पहलवानी के दांव-पेंच सीखते थे।

गामा एक दिन में लगाते खे 1000 से ज्यादा पुशअप

‘रुस्तम-ए-हिंद’ के नाम से मशहूर गामा पहलवान की हैरान कर देने वाली एक आदत ये भी थी कि वे दिन में 5000 बैठक लगा लेते थे और 1000 से ज्यादा पुशअप कर लेते थे। लोग आज भी उनकी ताकत के ऐसे किस्से सुनकर दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।

52 साल के करियर में कभी नहीं हारे

दुनिया में आज तक ऐसा पहलवान दोबारा नहीं हुआ, जो कभी हारा न हो। चेहरे पर गजब का तेज रखने वाले गामा पहलवान ने 10 साल की उम्र से कुश्ती खेलना शुरू किया। 52 साल तक वे कुश्ती खेलते रहे, लेकिन इतने लंबे करियर में उन्हें कोई हरा नहीं सका। महज 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। गामा अपने 52 वर्ष के करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारे।

उनकी डेली डाइट का हिस्सा थी 100 रोटी

कई लोगों को आपने ये कहते सुना होगा कि आखिर गामा खाते क्या थे? तो आपको जानकार हैरानी होगी कि गामा शरीर के साथ जितनी मेहनत करते थे, डाइट भी उसी हिसाब से लेते थे। कहते हैं कि उनकी पचाना आम इंसान के बस में बिल्कुल नहीं है। गामा डाइट में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का शरबत लेते थे। वहीं उनकी हर दिन की डाइट में 100 रोटी शामिल थी।

पत्थर के डंबल से बनाई थी बॉडी, दूर तक घसीट ले गए थे 1200 किलो का पत्थर


गामा के पिता मुहम्मद अजीज बख्श भी एक पहलवान थे। ये भी बड़ा कारण रहा कि गामा को बचपन से ही पहलवानी का शौक था। कहा जाता है कि गामा पहलवान ने पत्थर के डंबल से बॉडी बनाई थी। एक बार 1200 किलो का पत्थर उठाकर कुछ दूर चलने का कारनामा भी गामा पहलवान के नाम है।

फेमस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी गामा से बेहद प्रभावित

gama pehalwan

आज गामा पहलवान का नाम किसी लोककथा और कहानी की तरह देश-दुनिया के कोने कोने में मशहूर है। ऐसे कई किस्से और कहानियां आपको सुनाई दे जाएंगे कि गामा पहलवान ने किसे हराया, किसे प्रभावित किया। ऐसी ही एक किस्सा बताया जाती है ब्रूस ली का। कहा जाता है कि ब्रूस ली भी एक ऐसा नाम है जिसने पहलवानी में एक नया कल्ट पैदा कर दिया, ये कल्ट था मार्शल आर्ट। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ब्रूस ली खुद गामा पहलवान से बेहद प्रभावित थे और गामा पहलवान से ही उन्होंने बॉडी बनाना सीखी थी। कहा जाता है कि ब्रूस ली लेखों के माध्यम से गामा पहलवान की कसरत पर नजर रखते थे और फिर खुद उसी तरह प्रेक्टिस किया करते थे। यहां तक कि ब्रूस ली ने दंड-बैठक लगाना भी गामा को देखकर ही सीखा था।

सामान्य कद काठी के गामा पहलवान ने किसी को नहीं छोड़ा

Gama Pehalwan with wife
कहा जाता है कि गामा पहलवान सामान्य कद-काठी के थे। उनकी हाइट 5 फुट 7 इंच थी, जबकि वजन 112 किलो। गामा पहलवान ने अपने दौर में दुनिया के किसी भी धुरंधर पहलवान को नहीं छोड़ा और वे हर पहलवान के 30 मिनट में ही छक्के छुड़ा देते थे। बताया जाता है कि अपने से बड़े और ज्यादा भार वाले रहीमबख्श सुल्तानीवाला पहलवान को मात देने के बाद गामा पहलवान का नाम भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में फेमस हो गया था। इसके बाद गामा पहलवान ने दुनिया भर में अपनी ताकत का लोहा मनवाया और लंदन में तत्कालीन वर्ल्ड चैंपियन पहलवान स्टैनिस्लॉस जैविस्को को भी बराबरी के मुकाबले के साथ हरा दिया था।

लंदन चैंम्पियनशिप में कहा गामा ने दी थी खुली चुनौती

भारतीय पहलवान गामा को रिजेक्शन भी झेलना पड़ा। एक अंतरराष्ट्रीय इवेंट में हिस्सा लेने के लिए लंदन की यात्रा पर गए गामा को उनके छोटे कद की वजह से चैंपियनशिप में हिस्सा लेने से रोक दिया गया। तब गुस्सा होकर गामा पहलवान ने एक खुली चुनौती दे दी कि वह किसी भी भार वर्ग के किन्हीं तीन पहलवानों को 30 मिनट में हरा सकता है। हालांकि उस वक्त किसी ने भी भारतीय पहलवान गामा की बात को गंभीरता से नहीं लिया।
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अमेरिकी पहलवान से मिली चुनौती

बताया जाता है कि काफी लंबे इंतजार के बाद गामा को एक लोकप्रिय अमेरिकी पहलवान ‘डॉक्टर’ बेंजामिन रोलर ने चुनौती दी। बेंजामिन रोलर पेशे से एक डॉक्टर थे और एक पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी भी थे। गामा ने रोलर को दो बार चित किया, पहली बाउट में जहां गामा ने रोलर को एक मिनट 40 सेकंड में हराया, वहीं दूसरे बाउट में 9 मिनट और 10 सेकंड में चित कर दिया।

बंटवारे के वक्त पाकिस्तान चले गए थे गामा पहलवान

कहा जाता है कि गामा पहलवान का जन्म भले ही अविभाजित भारत में हुआ। लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए। हालांकि कहा जाता है कि पाकिस्तान जाने के बाद भी वह दतिया आते रहते थे। क्योंकि पहलवानी के शुरूआती गुण दतिया में सीखने की वजह से उन्हें यहां से विशेष लगाव था।

23 मई को 1960 में लाहौर में ली थी आखिरी सांस

gama pehalwan in pakistan
गामा पहलवान का जन्म भारत में 22 मई को हुआ था, वहीं पाकिस्तान के लाहौर में 23 मई 1960 को उन्होंने आखिरी सांस ली। बताया जाता है कि गामा का परिवार आज भी पाकिस्‍तान में रहता है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की दिवंगत पत्‍नी कुलसुम नवाज गामा की ही पोती थीं।
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बन चुकी है डॉक्यूमेंट्री

बता दें कि गामा पहलवान की लाइफ पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। मध्य प्रदेश के दतिया के ही रहने वाले युवा हरीश तिवारी ने ही ये डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। दतिया में रहने वाले हरीश तिवारी लंबे समय से गामा पहलवान पर रिसर्च कर रहे थे। हरीश ने बताया कि गामा पहलवान दतिया के रहने वाले थे। उनका लालन पोषण दतिया में हुआ था। 20 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री के लिए हरीश ने खुद एडिटिंग भी सीखी।
the great gama
अंग्रेजी लेखकों को पढ़ने के बाद उनका हिंदी में अनुवाद किया। हरीश के मुताबिक साल 2016 से वे लगातार इस विषय पर काम कर रहे थे। चार साल की मेहनत के बाद वे गामा के संबंध में आवश्यक साक्ष्य जुटा पाए। फिर धीरे धीरे डॉक्यूमेंट्री बनानी शुरू की। हरीश का कहना है कि ये डॉक्यूमेंट्री गामा पहलवान के जीवन से जुड़े हर पहलू को दिखाती है। बता दें कि हरिश ने ये डॉक्यूमेंट्री गामा पहलवान की डेथ एनिवर्सरी पर 2021 में जारी की थी।

सलमान खान के टीवी शो भी थी तैयारी

salman khan
बता दें कि गामा पहलवान पर सलमान खान स्टारर एक टीवी शो भी बनने वाला था। 2019 में इसकी खबरें मीडिया में छाई थीं कि कपिल शर्मा टीवी शो हिट होने के बाद सलमान खान छोटे पर्दे पर गामा पहलवान पर आधारित टीवी शो लाने वाले हैं। जल्द ही इसकी शूटिंग शुरू होगी। लेकिन बाद में ये चर्चाएं महज अफवाह बनकर रह गईं।
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