भोपाल. नर्सिंग कॉलेजों के रजिस्ट्रेशन के नाम पर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। शहर में जिन कॉलेजों की मान्यता दी गई है, उनमें कइयों के पते फर्जी हैं। छोटी क्लीनिक के नाम पर कॉलेजों का रजिस्ट्रेशन किया गया है तो कहीं कॉलेज के पते पर खाली मकान और दुकानें चल रही हैं। स्वयं के न्यूनतम 100 बिस्तर के अस्पताल की शर्त के कारण जिले में फर्जी अस्पतालों की बाढ़ आ गई है।
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नर्सिंग कॉलेज संचालक और बाबुओं की मिलीभगत से बिना अस्पताल के ही कॉलेजों को मान्यता मिल गई।सीएमएचओ कार्यालय ने भी फर्जी कागजों के आधार पर मान्यता दे दी। नर्सिंग काउंसिल के अनुसार शहर में 90 कॉलेज रजिस्टर्ड हैं। सीएमएचओ भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि जब लायसेंस दिए गए होंगे, तब इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरण, स्टाफ की जानकारी ली गई होगी। यदि अस्पताल नहीं हैं तो हम इसे चेक कराकर कार्रवाई करेंगे।
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9 हजार बेड होने चाहिए
चिकित्सा शिक्षा विभाग के नए नियमों के तहत कॉलेज संचालक को स्वयं का 100 बिस्तर का अस्पताल होना चाहिए। ऐसे में शहर में 90 नर्सिंग कॉलेजों पर 9000 बिस्तर होना चाहिए। वहीं कोरोना की दूसरी लहर में सैकड़ों मरीजों ने अस्पताल में बेड न होने की वजह से सड़कों पर ही दम तोड़ दिया। दरअसल नसिंग कॉलेज दूसरे निजी अस्पतालों से गठजोड़ कर बिस्तर अपने नाम पर दर्शाने का खेल करते हैं।
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इन कॉलेज में क्या मिला
1. ग्रीनपार्क कॉलोनी के पते पर दुकान और रहवासी कॉम्पलेक्स चल रहा था।
2. हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में दो मंजिला मकान था, जिसमें नीचे क्लीनिक और ऊपर घर था।
3. भारती कॉलेज का तो पते के नाम पर सिर्फ गांव का नाम है।
4. सैमरा कलां जैसे पतों पर भी कोई नर्सिंग कॉलेज नहीं मिला।
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