हाइवे पर गुजरते देखे थे, भूखे-प्यासे मजदूर, उस रात खाना नहीं खाया गया, अगले दिन से कार में रखकर बांटने लगे खाना
– हाइवे पर गुजरते देखे थे, भूखे-प्यासे मजदूर, उस रात खाना नहीं खाया गया, अगले दिन से कार में रखकर बांटने लगे खाना
– बायपास के नजदीक रहने वाले महेन्द्र घर से बनाकर लाते हैं खाना, घर जा रहे श्रमिकों को बांटते है पैकेट
– बायपास पर गुजरने वाले मजदूरों के जत्थे पर


भोपाल. मैं काम से बायपास से गुजरा तो देखा मजदूरों के जत्थे के जत्थे सड़क से गुजर रहे थे। कई लोग भूखे-प्यासे थे, उनके चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थी। ऐसा मैने कभी नहीं देखा था। घर वापस आया तो खाना खाते समय उन्हीं का चेहरा आंखों के सामने घूमने लगा। अगले दिन सुबह मैने घर में ज्यादा खाना बनवाया और पैकेट लेकर निकल गया, कुछ ही देर में पैकेट सही हाथों में पहुंचे तो मन को संतुष्टि मिली। इस तरह यही क्रम बन गया और पैकेटों की संख्या बढ़ती गई। यह कहना है रहने वाले महेन्द्र शुक्रवारे का। इंदौर बायपास के नजदीक रहने के चलते उन्हें हर काम के लिए इसी सड़क से गुजरना पड़ता है। ऐसे में मजदूरों का पलायन शुरू हुआ तो अलग ही हालत नजर आने लगी। सैंकड़ों किलोमीटर का सफर करके घर लौटते प्रवासियों की मदद के लिए खाना बांटना शुरू किया। अब महेन्द्र हर रोज 200 से ज्यादा पैकेट मजूदरों के बीच बांटते हैं। महेन्द्र बताते हैं, पहले दिन जो काम बिना किसी तैयारी के शुरूकिया था अब वह मुहिम बन चुका है जब तक इस सड़क से भूखे श्रमिक गुजरते रहेंगे तब तक किसी भी तरह उनका पेट भरने की भरसक कोशिशें करते रहेंगे।नोट- कार की डिक्की में पैकेट रखकर बांटते फोटो है।
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